शांत स्वभाव वाली नागरत्ना अपने सख्त फैसलों के लिए जानी जाती हैं। नोटबंदी से लेकर अभिव्यक्ति की आजादी तक फैसले में नागरत्ना का टफ स्टैंड साफ दिख जाता है। वे साल 2021 से सुप्रीम कोर्ट की जज हैं। 1994 में उन्होंने इंडिपेंडेंट वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी। आइए, जानते उन्होंने कहां से शिक्षा (Educational Qualification) हासिल की है।
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दिल्ली के इस कॉलेज से की है पढ़ाई (Educational Qualification)
जस्टिस बीवी नागरत्ना का जन्म 30 अक्टूबर 1962 को बेंगलुरु में हुआ था। उन्होंने डीयू के जिसस एंड मैरी कॉलेज से इतिहास में बीए से स्नातक किया और डीयू से कानून की पढ़ाई की। 1987 में उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से LLB की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक इंडीपेंडेंट वकील के तौर पर करियर की शुरुआत की। शुरुआती दौर में नागरत्ना ने बतौर वकील बेंगलुरु के कई अदालतों में प्रैक्टिस की थी। वे कंस्टीट्यूशनल लॉ, कमर्शियल और इंश्योरेस लॉ, सर्विस लॉ, एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, लैंड एंड रेंट लॉ, फैमिली लॉ की माहिर मानी जाती हैं। अपने 30 साल के करियर में नागरत्ना ने कई अहम फैसले सुनाए हैं। 2008 में नागरत्ना को कर्नाटक हाई कोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। इसके दो साल बाद ही 2010 में उन्होंने हाई कोर्ट में स्थायी जज बनाया गया। वह 11 साल तक हाई कोर्ट में जस्टिस रहीं। इसके बाद 31 अगस्त 2021 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया और 29 अक्टूबर 2027 को उनका रिटायरमेंट है।
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