पढ़ाई करने गए छात्र ने सुनाई आपबीती (Bangladesh)
बांग्लादेश में पढ़ने वाले अरमान नाम के छात्र ने हमसे बातचीत में कहा कि वे बिहार (Bihar News) के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि भारत में कम मेडिकल सीटें होने के कारण यहां एडमिशन मिलना मुश्किल रहता है। वहीं यूक्रेन और रसिया का पैटर्न अलग होता है। ऐसे में वे MBBS की पढ़ाई के लिए बांग्लादेश गए थे। लेकिन किसे पता है था कि वहां के हालात ऐसे हो जाएंगे। अरमान ने बताया कि स्थिति खराब होने लगी थी इसलिए वे 22 जुलाई को ही भारत लौट आए थे। मैं 10 जुलाई को भारत से बांग्लादेश गया ही था। 15 जुलाई को मौहाल गंभीर हो गया, वहां प्रोटेस्ट शुरू हो चुके थे। उस दिन 12 बजे ही हमें क्लास छोड़ने के लिए कहा गया। 17 को इंटरनेट सेवा बंद हो गई थी। वहीं अगले दिन वाइफा काट दिया गया।कौन हैं IAS कृतिका मिश्रा? हिंदी मीडियम से किया UPSC क्रेक, अब जुड़ने जा रहा है राजस्थान से खास रिश्ता
बांग्लादेश में पढ़ने का बड़ा कारण है ‘कम दूरी’ और ‘स्टूडेंट वीजा’ (Indian Students)
अरमान ने कहा कि बांग्लादेश, नेपाल के बाद भारत के सबसे करीब है। वहां के खानपान और रहन सहन में खास अंतर नहीं होता है। बांग्लादेश में मुख्यत: मछली और मीट खाया जाता है। साथ ही शाकाहारी भोजन की उपलब्धता में कोई समस्या नहीं होती है। ऐसे में भारतीय छात्रों (Indian Students) के लिए वहां रहना आसाना होता है। अरमान ने कहा अन्य देशों के मुकाबले भाषा भी आसान है। वीजा लगाने की प्रक्रिया भी आसान है।आज दो शिफ्ट में होगी NEET PG परीक्षा, यहां देखें जरूरी दिशा-निर्देश
बता दें, अरमान बांग्लादेश के कॉलेज में पढ़ते हैं और यह उनका फाइनल ईयर है। उनके कॉलेज में 50 प्रतिशत सीटें बंग्लादेशी स्टूडेंट के लिए रिजर्व हैं। वहीं अन्य 50 प्रतिशत सीटों पर 40 प्रतिशत भारतीय स्टूडेंट हैं और बाकी बचे 10 प्रतिशत सीटों पर नेपाल के स्टूडेंट हैं। अरमान ने कहा कि बांग्लादेश में ज्यादातर कश्मीर के छात्र जाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि उनके बैच में करीब 50-60 भारतीय स्टूडेंट्स हैं।