सिद्दीकी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा, यह अविश्वसनीय रूप से परेशान कर देनेवाला और समस्यात्मक है कि दर्द निदान की अवधारणा कितनी काल्पनिक है। डॉक्टरों के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि जब किसी का निदान किया जाता है तो किसी को कितना कम या कितना दर्द होता है। सिद्दीकी न्यूयॉर्क के वेस्टल उच्च विद्यालय की कक्षा 12 की छात्रा हैं और दिसंबर की शुरुआत में आयोजित किए गए इस हैकथॉन में भाग लेने वाली इकलौती गैर-स्नातक विद्यार्थी थीं।
बयान में कहा गया कि उन्होंने और उनके दल ने इस प्रतिस्पर्धा में प्रथम पुरस्कार जीता और अब वे माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के साथ प्रोटोटाइप पर काम कर रहे हैं, ताकि दर्द के स्तर का पता लगाने वाले उनके डिवाइस का प्रोटोटाइप तैयार किया जा सके।