एयर वार स्ट्रेटेजी सैल के जॉइंट डायरेक्टर विंग कमांडर जी.आदित्य किरण ने बताया, बाढ़, तूफान, सुनामी, भूकंप के बाद कई इलाकों में राहत पहुंचाने के लिए एयरफोर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ड्रोन के जरिए इन जगहों पर खाना, पानी, इंसुलिन और दवाईयों जैसी राहत सामग्री पहुंचाई जा सकती है। यदि एक ड्रोन एक किलोग्राम लोड लेकर ५० किलोमीटर तक भी यात्रा कर पाए तो यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अभी ट्रांसपोर्ट करने में काफी समस्याएं आती हैं। कई बार राहत सामग्री हैलीकॉप्टर से डालने पर पानी में भी गिर जाती है, ऐसे में ये ड्रोन काफी कारगर साबित होंगे। ये ड्रोन न केवल ऐसी मुश्किल जगहों तक पहुंचाए जा सकेंगे, बल्कि और भी कई बार काम आ सकेंगे।
स्वॉर्म ड्रोन कॉम्पिटीशन के तहत पहले फेज में चयनित लगभग ५० टीमों को १६ दिसंबर को वायुसेना मुख्यालय दिल्ली बुलाया जाएगा। जहां टीम अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करेंगी। इस दौरान १० ड्रोन १० किलोमीटर, ३३०० फीट एल्टीट्यूड पर जीपीएस के साथ उडऩे चाहिए। दूसरे फेज में पांच टीम सलेक्ट होंगी। थर्ड फेज में टीम के ५० ड्रोन ५० किलोमीटर तक झुंड में या इधर-उधर (GPS और बिना GPS के साथ) उडऩे चाहिए। टीम्स को ड्रोन बनाने के लिए पहले फेज में २५ लाख रिम्बसर्मेंट दिया जाएगा। जबकि दूसरे फेज के लिए १० करोड़ और तीसरे फेज के बाद १०० करोड़ तक की फंडिंग दी जाएगी। स्टूडेंट्स को बेस रिपेयर डिपो और इंडस्ट्री के साथ प्रोडक्शन अपॉच्र्युनिटी भी दी जाएगी। विनर्स को २६ जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर सम्मानित किया जाएगा। आदित्य किरण के अनुसार, यदि क्राइटेरिया को कई टीमें मैच करती हैं तो उन्हें इंडस्ट्री बेस्ड प्रोजेक्ट्स देंगे।