आईआईटी प्रशासन ने शुरू में इस मुद्दे को दबाने की कोशिश की और एक हफ्ते तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद पीडि़ता ने अपनी शिकायत महिला सेल में और अपने दूतावास में भी की। दूतावास के हस्तक्षेप के बाद आईआईटी अधिकारी ने जांच शुरू की। दूसरे विदेशी छात्रों, संकाय सदस्यों व कर्मचारियों से पूछताछ की गई और सीसीटीवी फुटेज की भी जांच की गई।
विभिन्न स्तरों पर तीन महीने की लंबी पूछताछ के बाद रिपोर्ट ने आरोपी प्रोफेसर को दोषी ठहराया। एक वरिष्ठ संकाय सदस्य ने कहा, बोर्ड ने फैसला किया कि आरोपी प्रोफेसर को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जानी चाहिए, जिससे कि इस तरह की घटनाएं भविष्य में नहीं हों। सेवानिवृत्ति के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है। आईआईटी प्रशासन ने इस मामले पर किसी तरह का बयान जारी नहीं किया है।