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वेदों, पुराणों में स्पष्ट किए गए हैं मानवाधिकार : निशंक

शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा मानवाधिकार के विषय पर शनिवार को एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल (HRD minister Ramesh Pokhriyal) ने मानवाधिकारों को वैदिक काल से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकारों को अनादिकाल से ही स्पष्ट किया गया है।

Feb 23, 2020 / 01:08 pm

जमील खान

HRD minister Ramesh Pokhriyal

HRD minister Ramesh Pokhriyal

शैक्षिक फाउंडेशन द्वारा मानवाधिकार के विषय पर शनिवार को एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल (HRD minister Ramesh Pokhriyal) ने मानवाधिकारों को वैदिक काल से जोड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकारों को अनादिकाल से ही स्पष्ट किया गया है। ‘मानवाधिकार-राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दे एवं चुनौतियां पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन शनिवार को राजधानी दिल्ली में किया गया। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, भारत के वेदों, पुराणों एवं संहिताओं में मानवाधिकार (Human Rights) को अनादिकाल से ही स्पष्ट किया है और भारतीय संस्कृति ने मानव की विकास यात्रा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

निशंक ने कहा, मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो मनुष्य के गरिमामय जीवन जीने तथा उसकी स्वतन्त्रता, समानता एवं प्रतिष्ठा की रक्षा को सुनिश्चित करता है। इस पर हो रही वैश्विक चर्चा का सम्बन्ध केवल वर्तमान परिप्रेक्ष्य से हो ऐसा नहीं है। सच तो यह है कि भारत में इसकी जड़ें सदियों पुरानी हैं। मानव संसाधन मंत्री ने देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था का जिक्र करते हुए बताया कि देश में इस समय 1000 से ज्यादा विश्वविद्यालय और 45 हजार से ज्यादा डिग्री कॉलेज हैं। इसके साथ ही भारत विश्व का सबसे युवा देश है और जनसांख्यिकीय लाभांश के चलते वर्ष 2055 तक काम करने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या भारत में होगी। आज के चुनौतीपूर्ण वातावरण में भारत विश्व का तीसरा बड़ा शिक्षा तंत्र होने के नाते 33 करोड़ से ज्यादा विद्यार्थियों के उज्जवल भविष्य निर्माण के लिए कृतसंकल्पित हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे हम समग्र विकास की परिकल्पना को साकार कर सकते हैं।

निशंक ने कहा, भारत में मानवाधिकार का चिन्तन हजारों वर्ष पुराना है। हमारे वेदों, शास्त्रों एवं अन्य ग्रन्थों में शासन करने वालों को ‘धर्म’ के आधार पर आचरण को ही आधार बनाया गया है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’, ‘सर्वे भवन्ति सुखिन:’ एवं ‘अहिंसा परमोधर्म’ जैसे आधारभूत सिद्धांत हमारे देश की ही देन है।

निशंक ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, इतिहास हमें बताता है कि नालंदा, विक्रमशिला और वल्लभी जैसे विश्वविद्यालय दुनिया के विभिन्न हिस्सों से छात्रों और विद्वानों के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। विश्व के शीर्ष पर रहने का श्रेय हमें शिक्षा के माध्यम से ही मिला। विश्व गुरु भारत पुरातन काल में ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में समूचे विश्व का नेतृत्व केवल इसलिए प्रदान कर पाया क्योंकि उसकी शिक्षा तत्कालीन विश्व मे सर्वोत्कृष्ट और मूल्यों पर आधारित थी।

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