इन पेशेवरों को व्हाइट हैट्स या पेनिशन टेस्टर के नाम से भी जाना जाता है। कम्प्यूटर और नेटवर्क से संबंधित तकनीकों में इन्हें विशेषज्ञता प्राप्त होती है। इनका काम कम्प्यूटर सिक्योरिटी उत्पाद बनाने वाली कंपनी के लिए किसी निर्धारित कम्प्यूटर सिस्टम पर हमला करना होता है, ताकि सिस्टम की उन कमियों का पता लगाया जा सके, जिन्हें तलाशकर हैकर साइबर अपराधों को अंजाम देते हैं।
इस पेशे में आने के लिए कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग का अच्छा ज्ञान जरूरी होता है। इसलिए कम्प्यूटर साइंस, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी या कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर डिग्री का होना आवश्यक है। शैक्षणिक योग्यता के साथ C, C++ आदि प्रोग्रामिंग लैंग्वेज और कम्प्यूटर में इस्तेमाल होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम मसलन विंडोज या लायनक्स की जानकारी का होना भी जरूरी है।
(1) सर्टिफिकेट कोर्स इन साइबर लॉ
(2) सीसीएनए सर्टिफिकेशन
(3) सर्टिफाइड एथिकल हैकर
(4) सर्टिफाइड इंफॉर्मेशन सिस्टम सिक्योरिटी प्रोफेशनल
(5) एमएससी साइबर फॉरेंसिक्स एंड इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी
(6) पीजी डिप्लोमा इन डिजिटल एंड साइबर फॉरेंसिक्स
(7) पीजी डिप्लोमा इन साइबर लॉ
(8) पीजी डिप्लोमा इन आईटी सिक्योरिटी
(9) एडवांस डिप्लोमा इन एथिकल हैकिंग
(1) एनआईईएलआईटी
(2) सीईआरटी
(3) इंडियन स्कूल ऑफ एथिकल हैकिंग
(4) तिलक महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी
(5) इन्नोबज नॉलेज सॉल्यूशन्स प्रा. लि.
(6) आईएमटी गाजियाबाद
(7) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी पर्याप्त हैं रोजगार के अवसर
फिलहाल देश में एथिकल हैकरों की काफी कमी है। इसलिए कई कंपनियां अपने नेटवर्क में मौजूद खामियों को खोजने के लिए एक ही पेशेवर की मदद लेती हैं। इन पेशेवरों की सरकारी क्षेत्र के संस्थानों में भी काफी पूछ है। सेना, पुलिस बलों (सीबीआई और एनआईए), फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं और रक्षा अनुसंधान संगठनों में विशेष रूप से एथिकल हैकरों की मदद ली जाती है। जासूसी एजेंसियों में भी इनके लिए काफी अवसर हैं।