क्या है प्लांट पैथोलॉजी
प्लांट पैथोलॉजी को ‘फिथोपैथोलॉजी’ भी कहा जाता है। यह एक वैज्ञानिक अध्ययन है, इसके जरिए पौधों की बीमारी जानकार उनका निदान निकाला जाता है। पर्यावरण की स्थिति व संक्रामक जीवों द्वारा पौधों में बीमारियां पनपती हैं। जीवों में कई तरह के रोग हो जाते हैं, जिनकी वजह से पौधों में भी बीमारियां लग जाती हैं। इसलिए प्लांट पैथोलॉजी में जीवों में होने वाली बीमारियों का भी अध्ययन कराया जाता है, ताकि पौधों में होने वाले रोगों का निदान ढूंढा जा सके ।
प्लांट पैथोलॉजी को ‘फिथोपैथोलॉजी’ भी कहा जाता है। यह एक वैज्ञानिक अध्ययन है, इसके जरिए पौधों की बीमारी जानकार उनका निदान निकाला जाता है। पर्यावरण की स्थिति व संक्रामक जीवों द्वारा पौधों में बीमारियां पनपती हैं। जीवों में कई तरह के रोग हो जाते हैं, जिनकी वजह से पौधों में भी बीमारियां लग जाती हैं। इसलिए प्लांट पैथोलॉजी में जीवों में होने वाली बीमारियों का भी अध्ययन कराया जाता है, ताकि पौधों में होने वाले रोगों का निदान ढूंढा जा सके ।
ऑर्गेनिज्म की समझ
प्लांट पैथोलॉजी एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो प्लांट हेल्थ में स्पेशलाइज कराता है। पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिज्म की समझ होनी चाहिए, जिनकी वजह से पौधों में बीमारियां पनपती हैं। इसके साथ ही यह जानकारी भी होनी चाहिए कि पौधे कैसे बढ़ते हैं और बीमारियों से किस तरह प्रभावित होते हैं।
प्लांट पैथोलॉजी एक प्रोफेशनल कोर्स है, जो प्लांट हेल्थ में स्पेशलाइज कराता है। पौधों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिज्म की समझ होनी चाहिए, जिनकी वजह से पौधों में बीमारियां पनपती हैं। इसके साथ ही यह जानकारी भी होनी चाहिए कि पौधे कैसे बढ़ते हैं और बीमारियों से किस तरह प्रभावित होते हैं।
रिसर्च है जरूरी
एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट के सामने नए और प्रगतिशील तरीकों को विकसित करनी की चुनौती लगातार बनी रहती है, ताकि पौधों में होने वाले रोगों पर काबू पाया जा सके। पौधों की बीमारियों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाने के लिए नई तकनीकों को लागू करने से पहले इस क्षेत्र में बहुत रिसर्च करने की जरूरत होती है।
एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट के सामने नए और प्रगतिशील तरीकों को विकसित करनी की चुनौती लगातार बनी रहती है, ताकि पौधों में होने वाले रोगों पर काबू पाया जा सके। पौधों की बीमारियों पर प्रभावी तरीके से नियंत्रण पाने के लिए नई तकनीकों को लागू करने से पहले इस क्षेत्र में बहुत रिसर्च करने की जरूरत होती है।
एग्रीकल्चर की ब्रांच है प्लांट प्रोटेक्शन साइंस
पौधों में जीवाणु, विषाणु, माइक्रोप्लाज्मा, सूत्रकृमि के अलावा जहरीली गैसों के कारण रोग पनपते हैं। जिसकी वजह से दुनिया की खाद्य व रेशेदार फसलें और जंगल प्रभावित हो रहे हैं। इन्हें स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है, क्योंकि पूरी दुनिया के लोग भोजन के लिए पेड़-पौधों पर निर्भर रहते हैं। इसलिए प्लांट पैथोलॉजी बेहद महत्वपूर्ण है। ‘प्लांट प्रोटेक्शन साइंस’ एग्रीकल्चर की एक ब्रांच है, इसमें पौधों को स्वस्थ बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं। इसमें रोगों के लक्षणों व कारणों की पहचान करना, पौधों में होने वाली हानियों को कम करने व बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए निदान ढूंढने का अध्ययन किया जाता है।
पौधों में जीवाणु, विषाणु, माइक्रोप्लाज्मा, सूत्रकृमि के अलावा जहरीली गैसों के कारण रोग पनपते हैं। जिसकी वजह से दुनिया की खाद्य व रेशेदार फसलें और जंगल प्रभावित हो रहे हैं। इन्हें स्वस्थ रखना बेहद आवश्यक है, क्योंकि पूरी दुनिया के लोग भोजन के लिए पेड़-पौधों पर निर्भर रहते हैं। इसलिए प्लांट पैथोलॉजी बेहद महत्वपूर्ण है। ‘प्लांट प्रोटेक्शन साइंस’ एग्रीकल्चर की एक ब्रांच है, इसमें पौधों को स्वस्थ बनाने के तरीके सिखाए जाते हैं। इसमें रोगों के लक्षणों व कारणों की पहचान करना, पौधों में होने वाली हानियों को कम करने व बीमारियों पर नियंत्रण पाने के लिए निदान ढूंढने का अध्ययन किया जाता है।
ये कंपनियां ऑफर करती हैं जॉब्स
(1) एग्रीकल्चरल कंसल्टिंग कंपनी
(2) एग्रोकैमिकल कंपनी
(3) सीड एंड प्लांट प्रोड्क्शन कंपनी
(4) इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर्स
(5) बॉटेनिकल गार्डन्स
(6) बॉयोटेक्नोलॉजी फर्म
(7) बॉयोलॉजिकल कंट्रोल कंपनी
(8) एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस
(9) फॉरेस्ट सर्विस
(10) एनीमल एंड प्लांट हेल्थ इंसपेक्शन सर्विस
(11) एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी
(12) स्टेट डिपार्टमेंट्स ऑफ एग्रीकल्चरल नवायरमेंटल
(1) एग्रीकल्चरल कंसल्टिंग कंपनी
(2) एग्रोकैमिकल कंपनी
(3) सीड एंड प्लांट प्रोड्क्शन कंपनी
(4) इंटरनेशनल एग्रीकल्चरल रिसर्च सेंटर्स
(5) बॉटेनिकल गार्डन्स
(6) बॉयोटेक्नोलॉजी फर्म
(7) बॉयोलॉजिकल कंट्रोल कंपनी
(8) एग्रीकल्चरल रिसर्च सर्विस
(9) फॉरेस्ट सर्विस
(10) एनीमल एंड प्लांट हेल्थ इंसपेक्शन सर्विस
(11) एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी
(12) स्टेट डिपार्टमेंट्स ऑफ एग्रीकल्चरल नवायरमेंटल
योग्यता
(1) ग्रेजुएशन के लिए 12वीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बॉयोलॉजी मे कम-से-कम 50 फीसदी अंक जरूरी
(2) प्रवेश परीक्षा व मैरिट के आधार पर होता है चयन
(3) ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री का विकल्प
(4) साइंटिस्ट या एक्सपर्ट बनने के लिए एन्टोमोलॉजी, नेमाटोलॉजी और वीड साइंस आदि से संबंधित कोर्स भी कर सकते हैं।
(5) भारत में कई एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय हैं, जो प्लांट पैथोलॉजी में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवाती हैं।
(1) ग्रेजुएशन के लिए 12वीं में फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बॉयोलॉजी मे कम-से-कम 50 फीसदी अंक जरूरी
(2) प्रवेश परीक्षा व मैरिट के आधार पर होता है चयन
(3) ग्रेजुएशन के बाद मास्टर्स और डॉक्टरेट डिग्री का विकल्प
(4) साइंटिस्ट या एक्सपर्ट बनने के लिए एन्टोमोलॉजी, नेमाटोलॉजी और वीड साइंस आदि से संबंधित कोर्स भी कर सकते हैं।
(5) भारत में कई एग्रीकल्चरल विश्वविद्यालय हैं, जो प्लांट पैथोलॉजी में बैचलर और मास्टर प्रोग्राम करवाती हैं।
ये हैं प्रमुख विश्वविद्यालय
(1) इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
(2) तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर
(3) पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
(4) नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल
(5) चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार
(6) सीएसके हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पालमपुर
(7) गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
(8) यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बेंगलूरु,
(9) सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरिस एजुकेशन, मुंबई
(1) इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
(2) तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, कोयम्बटूर
(3) पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
(4) नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, करनाल
(5) चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, हिसार
(6) सीएसके हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पालमपुर
(7) गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
(8) यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंस, बेंगलूरु,
(9) सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फिशरिस एजुकेशन, मुंबई