अगर आप वर्कप्लेस पर जिज्ञासु रहेंगे तो अच्छे श्रोता बन सकते हैं। इससे बातचीत का स्तर अच्छा बनता है और अच्छे आइडियाज सामने आते हैं। आपको काम के दौरान ज्यादा सवाल पूछने में झिझकना नहीं चाहिए। जरूरत हो तो सामने वाले से क्लीयरिटी के लिए कहना चाहिए। अगर आपके पास जिम्मेदारी है तो आप बेहतर तरीके से बातों को सुनते और समझते हैं।
आपको अपने ईगो और इश्यूज को एक तरफ रखकर जानकारी प्राप्त करने के लिए क्रिटिकल थिकिंग पर फोकस करना चाहिए। अगर आप संवाद के दौरान कोई बात काटना चाहते हैं तो बेहद विनम्र तरीके से ऐसा करना चाहिए, ताकि आपकी प्रोडक्टिविटी बनी रहे। बेवजह बहस से बचें।
युवाओं में सोशल मीडिया से चिपके रहने की आदत होती है। वे अपने मोबाइल फोन से चिपके रहते हैं और वक्ता की बात पर गौर नहीं कर पाते हैं। इससे सामने वाले को बुरा लग सकता है। अच्छा श्रोता बनने के लिए हर व्यवधान से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए। बातचीत के दौरान किसी भी टेक्नोलॉजी से दूर रहना चाहिए।
अच्छा श्रोता बनने के लिए आपका विनम्र बनना जरूरी है। खुद को बहुत ज्यादा होशियार समझने के बजाय सामने वाले व्यक्ति को भी महत्व देना चाहिए। अगर आप वर्कप्लेस पर चर्चा के दौरान भागीदारी दिखाते हैं और बातों को पूरा सुनने की कोशिश करते हैं तो आपको फायदा हो सकता है।
अच्छा श्रोता जो कुछ कहा जाता है, उस पर पूरा गौर करता है। वह नॉन-वर्बल साइन्स पर भी काफी ध्यान देता है। स्पीकर की बॉडी लैंग्वेज और आवाज की टोन से आप बातचीत के दौरान दिए गए महत्वपूर्ण संदेशों को समझ सकते हैं। इसके साथ ही अच्छे श्रोता को खुद को भी अच्छी बॉडी लैंग्वेज का प्रदर्शन करना चाहिए, ताकि स्पीकर लगातार बोलने के लिए प्रेरित रहे। बातचीत के दौरान बॉडी लैंग्वेज से ही तय होता है कि आप कही गई बातों को समझ गए हैं।