उन्होंने बताया कि आयोग आयुर्वेद, यूनानी सिद्धा चिकित्सा पद्धति से जुड़े मामलों का नियंत्रण करेगा तथा उसे और पारदर्शी बनाएगा। आयोग भारतीय चिक्तिसा पद्धति के छात्रों के दाखिले के लिए अलग संयुक्त परीक्षाएं आयोजित करेगा उसके बाद ही उन्हें लाईसेंस मिलेगा। शिक्षकों के लिए भी पात्रता परीक्षा होगी और उसके बाद उनकी नियुक्ति होगी तथा पदोनति होगी। यह आयोग भी राष्ट्रीय मेडिकल आयोग की तरह होगा।
उन्होंने बताया कि भारतीय चिकित्सा पद्धति से इलाज करनेवाले लोगों के हितों का ख्याल रखा जाएगा और चिकित्सा संस्थाओं को मान्यता देने के लिए भी एक बोर्ड होगा। इसी तरह केन्द्रीय होमियोपैथी परिषद् की जगह केन्द्रीय होमियोपैथी आयोग भी गठित होगा जिसके तहत तीन स्वायत्त बोर्ड होंगे। इसके छात्रों के दाखिले के लिए भी संयुक्त परीक्षा होगी और फिर डोक्टरों को लाईसेंस मिलेगा। शिक्षकों के लिए पात्रता परीक्षा होगी। इन दोनों आयोग का मकसद वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में गुणवत्ता लाना और मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।