प्रश्न (1) – दुनिया में पहली वैक्सीन कब बनी?
दुनिया में रोगों की प्रतिरोधक क्षमता के विकास के बारे में अब से करीब सवा दो सौ साल पहले प्रयास शुरू हो गए थे। इंग्लैंड में डॉक्टर एडवर्ड जेनर ने 1796 में काउ पॉक्स नामक बीमारी की प्रतिरोधी क्षमता तैयार करने के प्रयास में एक व्यक्ति के हाथ में काउ पॉक्स के पस से टीका बनाकर एक बच्चे को लगाकर देखा। इस बच्चे के शरीर में काउ पॉक्स की प्रतिरोधक क्षमता का जन्म होने पर इस विचार की पुष्टि हो गई। इसके बाद स्मॉल पॉक्स जैसे भयावह रोग की पहली वैक्सीन सन 1798 में बनाई गई, जो दुनिया की पहली वैक्सीन थी। बाद में पोलियो और टीबी की भी वैक्सीन बनी। वैक्सीन का इस्तेमाल किसी रोग को होने देने से रोकने में और रोगों के इलाज में भी होता है।
आज तीसरी पीढ़ी के डीएनए वैक्सीन बनाए जा रहे हैं। एचआईवी जैसे रोग के वैक्सीन पर भी काम चल रहा है। भारत में टीकाकरण की शुरुआत 1978 से हुई और 1985 में इस अभियान का नाम यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) यानी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम रख दिया गया। इसके तहत टीके के जरिए रोके जा सकने वाले 12 रोगों के लिए गर्भवती स्त्रियों और शिशुओं का टीकाकरण होता है। भारत का टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) भौगोलिक पहुंच, फायदा उठाने वालों की तादाद, टीकों की संख्या और टीकाकरण सत्रों की संख्या के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है।
प्रश्न (2) – संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों की संख्या इस समय 193 है। इन सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र महासभा में बराबरी का दर्जा मिला हुआ है। किसी भी ऐसे नए देश को सदस्यता दी जा सकती है, जो सम्प्रभुता सम्पन्न हो। इस सदस्यता के लिए महासभा के अलावा सुरक्षा परिषद की अनुमति की जरूरत भी होती है। सदस्य देशों के अलावा महासभा में पर्यवेक्षक के रूप में देशों को आमंत्रित किया जा सकता है। इस समय होली सी (वैटिकन) और फलस्तीन दो पर्यवेक्षक हैं। पर्यवेक्षक बैठकों में भाग लेने के अलावा अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं, पर मतदान में भाग नहीं ले सकते।