आवेदन की अंतिम तिथि : 10 अक्टूबर, 2017
योग्यता : किसी भी मान्यता प्राप्ता विश्वविद्यालय या संस्थान से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी या इंजीनियरिंग या मास्टर ऑफ साइंस (टेक् सटाइल एंड क्लोदिंग) की डिग्री जरूरी है।
चयन : रिसर्च एबिलिटी टैस्ट (आरईटी) -2017 और इंटरव्यू के आधार पर कैंडिडेट का चयन होगा।
अधिक जानकारी के लिए देखें: http://www.caluniv.ac.in/admission/PHD-TT-2017.pdf
आरटीयू : पीएचडी में सिर्फ 12 छात्रों ने लिया प्रवेश
जयपुर। प्रदेश के सबसे बड़े तकनीकी विश्वविद्यालय में रिसर्च की हालत खस्ता होती जा रही है, लेकिन न तो सरकार को इसकी परवाह नजर आ रही है और न ही विवि प्रशासन को। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस बार सिर्फ 12 स्टूडेंट्स ने ही आरटीयू के पीएचडी प्रोग्राम में फुल टाइम एनरोलमेंट कराया है। हैरानी की बात यह है कि इनमें से सिर्फ छह स्कॉलर को ही स्कॉलरशिप अवॉर्ड होगी, वह भी महज ८ हजार रुपए। जबकि अन्य तकनीकी विश्वविद्यालयों में स्टूडेंट्स को २८ हजार रुपए तक दिए जा रहे हैं। रिसोर्सेज के अभाव में छात्र रिसर्च के प्रति कैसे आकर्षित होंगे, इसका जवाब विवि के पास नहीं है। एेसे में रिसर्च की हालत क्या होगी, अंदाजा लगाया जा सकता है। यूनिवर्सिटी के नियमों के अनुसार, हर विषय के एक स्कॉलर को ही स्कॉलरशिप देने का प्रावधान है।
टीईक्यूआईपी से देंगे स्कॉलरशिप
आरटीयू के डीन रिसर्च प्रो. धीरेन्द्र माथुर के अनुसार, टेक्निकल एजुकेशन क्वालिटी इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम (टीईक्यूआईपी) के तहत तीन साल के लिए ३ करोड़ रुपए एक्टिविटी के लिए दिए गए हैं। इसमें से एक हिस्सा पीएचडी स्कॉलरशिप के लिए भी प्लान कर रहे हैं। हालांकि यह तय नहीं है कि कितना प्रतिशत हिस्सा दिया जाएगा। जबकि विवि की ओर से स्कॉलरशिप बढ़ाने का प्रपोजल तैयार किया गया है। इसे रिसर्च बोर्ड ने भी अप्रूव किया है। इसे एकेडमिक काउंसिल में रखा जाएगा, जिसे फाइनेंस कमेटी व बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट में अप्रूवल के बाद नवंबर तक फाइनल कर लिया जाएगा।
एमएचआरडी स्कॉलरशिप का लाभ नहीं
मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स एंड डवलपमेंट (एमएचआरडी) देशभर की यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई करने वाले स्कॉलर्स को २८ हजार रुपए प्रति माह देने का प्रावधान है, लेकिन आरटीयू स्कॉलर्स इससे अछूते नजर आ रहे हैं। स्टूडेंट्स को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है, इस पर कोई भी साफ तौर पर बोलने को तैयार नहीं है, लेकिन एक जानकारी यह भी सामने आई है कि विवि यूजीसी की कुछ शर्तों को पूरा नहीं करती।
सूटेबल अमाउंट
&स्कॉलरशिप बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें जल्द ही सूटेबल अमाउंट तय कर लिया जाएगा। इसे नवंबर में होने वाली एकेडमिक काउंसिल और बोम की मीटिंग में अप्रूव कराया जाएगा। प्रो. धीरेन्द्र माथुर, डीन रिसर्च, आरटीयू