बोर्ड की कॉपियां जांचने के लिए एक केंद्र बनाए जाते हैं। इन केंद्रों पर उन्हीं शिक्षकों को बुलाया जाता है, जिनके नाम की लिस्ट तैयार होती है। ये सारा काम एक प्रोसेस में होता है, सेम स्कूल के शिक्षकों को उन्हीं के स्कूल के बच्चों की कॉपियां नहीं दी जाती हैं। बोर्ड कॉपियों के मूल्यांकन के लिए शिक्षक और केंद्र फिक्स होते हैं। ऐसे में कोई भी शिक्षक आंसर पुस्तिका (Answer Sheet) अपने घर नहीं ले जा सकते।
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कॉपी घर ले जाने की सुविधा केवल एक बार 2020 में मिली थी, जब कोरोना महामारी का दौर था। उस समय शिक्षकों की सेफ्टी को देखते हुए ये कदम उठाया गया था। हालांकि, बाद में इसे भी बंद कर दिया गया और कोरोना नियम का पालन करते हुए शिक्षकों को कॉपी जांचने के लिए केंद्र पर ही बुलाया जाने लगा।
बोर्ड परीक्षा में कॉपी जांचने वाले शिक्षक (Board Exam Copy Checking Teachers) स्कूल शिक्षक होते हैं और पढ़ाते भी हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद इनकी ड्यूटी कॉपी जांचने में लगाई जाती है और स्कूल के आम कामों के साथ ही ऐसे शिक्षक कॉपी जांचते हैं। जिस समय पर स्कूल की छुट्टियां होती हैं, उसी समय पर बोर्ड की परीक्षाएं होती हैं। ऐसे में स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी फ्री रहते हैं और इनमें से कई अनुभवी शिक्षक केंद्र पर जाकर कॉपी जांचने का काम करते हैं।