मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं! भगत सिंह अपने स्पीच को “माननीय, अतिथि गण, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों” कहकर शुरू करें। इसके बाद सभी का स्वागत करें और क्रांतिकारियों को याद करें। उनकी याद में कुछ पंक्ति कहें। अपनी स्पीच में कुछ कोट्स व शायरी भी शामिल करें। नीचे हम कुछ शायरी बता रहे हैं जो आपके काम आएगी।
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं! भगत सिंह अपने स्पीच को “माननीय, अतिथि गण, शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों” कहकर शुरू करें। इसके बाद सभी का स्वागत करें और क्रांतिकारियों को याद करें। उनकी याद में कुछ पंक्ति कहें। अपनी स्पीच में कुछ कोट्स व शायरी भी शामिल करें। नीचे हम कुछ शायरी बता रहे हैं जो आपके काम आएगी।
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अनोखी है भारत की परंपरा (Independence Day 2024)
ये पंक्तियां हमें याद दिलाती हैं कि हमारा देश कितना महान है। यहां की संस्कृति, भाषा और परंपरा सभी हमें अनोखी पहचान दिलाते हैं। लेकिन इस पहचान और आजादी के लिए हमें बहुत संघर्ष करना पड़ा। आजादी के इस महोत्सव (Independence Day 2024) पर क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना हमारा फर्ज बनता है।याद कर लें ये पंक्ति (Quotes In Hindi For 15th August)
दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की उल्फ़तमेरी मिट्टी से भी ख़ुशबू-ए-वफ़ा आएगी लाल चन्द फ़लक फिराक गोरखपुरी के इस पंक्ति के जरिए हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हैं, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश की आजादी के लिए संघर्ष किया। उन सभी को याद करके हमारी आंखें नम हैं।
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है
बिस्मिल अज़ीमाबादी
सिर्फ जश्न मनाना काफी नहीं (15 August 2024 Day)
आजादी का महोत्सव मनाते हुए हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि अभी भी देश की प्रगति के लिए बहुत किया जाना बाकी है। इस चीज को हमें अपने स्पीच में शामिल करना चाहिए। आजादी सिर्फ जश्न मनाने की चीज नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि देश के हर नागरिक को आजादी, सुरक्षा और उनका अधिकार मिले। कोई भूखा न हो। हर व्यक्ति शिक्षित हो। सबके सिर पर छत हो। हर शरीर स्वस्थ हो। आइए, हम एक राष्ट्र के रूप में हमारे सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करें। असमानता हो या अन्याय या फिर भ्रष्टाचार जो भी हमारी आजादी पर खतरा हो, उससे हम एकजुट होकर लड़ें। आखिरकार इसी आजादी को पाने के लिए लाखों जवान अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद पर तैनात हैं।