एक भी आचार्य नहीं विवि में 27 पीजी कोर्स, डिप्लोमा कोर्स व अन्य संचालित पाठ्यक्रमाें आदि में अध्यापन कराने वालों के ही ठिकाने नहीं हैं। यहां स्वीकृत आचार्य, सह आचार्य और सहायक आचार्य के कुल 54 पद स्वीकृत हैं, किंतु एक भी स्थायी नियुक्ति नहीं है। यही हालात नॉन टीचिंग में है। जिसमें 42 स्वीकृत पदों में से मात्र छह ही कार्यरत हैं। मंत्रालयिक संवर्ग में भी कमोबेश यही हालात है।
भर्ती पर रोक, एक-दूजे को प्रभार वर्ष 2018 में विश्वविद्यालय की ओर से विभिन्न पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई थी, किंतु राज्य सरकार की ओर से उस पर रोक लगा दी गई। इसके बाद से यहां अधीनस्थ महाविद्यालयों में कार्यरत व्याख्याताओं के बूते ही कार्य संचालन किया जा रहा है, जबकि यहां परीक्षा, संबद्धता, खेल बोर्ड, वेद विद्यापीठ और वैदिक गुरुकुल आदि में कोई धणीधोरी ही नहीं है।
इन्हें सौंपा जिम्मा राज्य सरकार ने गत बजट में जिले के राजकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय को जीजीटीयू से संबद्ध कर दिया। यहां प्राचार्य का विगत माह तबादला होने पर विवि में शोध निदेशक डाॅ. अशोक कुमार काकोडि़या को जिम्मा सौंपा। डाॅ. काकोडिया का तबादला राजगढ़ अलवर जिले में होने से प्राचार्य का जिम्मा सह आचार्य डाॅ. मनोज कुमार पंड्या को सौंपा है। शोध सहित अन्य प्रभाग का जिम्मा परीक्षा नियंत्रक डा. नरेंद्र पानेरी को दिया है।
समस्या तो है विश्वविद्यालय में टीचिंग और नॉन टीचिंग के पद रिक्त हैं। इससे समस्या तो हैं। विद्या संबल योजना के तहत कार्य हो रहा है। पूर्व में भर्ती निकाली थी, किंतु नियमावली अप्रूव नहीं हुई थी। इसकी आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण कर सरकार को भेज दी है। सरकार से हरी झंडी मिलते ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी।प्रो. आई.वी. त्रिवेदी,
कुलपति, जीजीटीयू, बांसवाड़ा