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AMU : अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं? जानिए क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट फैसला

AMU : अदालत ने 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें यह बात कही गई थी कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान…

अलीगढ़Nov 08, 2024 / 01:19 pm

Anurag Animesh

Aligarh Muslim University

AMU : देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में से एक AMU(Aligarh Muslim University) से जुड़ी जरुरी खबर सुप्रीम कोर्ट से आई है। 08 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले में एक फैसला सुनाया है। जिसमें अदालत ने 1967 के उस फैसले को खारिज कर दिया है, जिसमें यह बात कही गई थी कि विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है। साथ ही इस विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे से जुड़े मामले को शीर्ष अदालत ने नई पीठ के पास भेज दिया।
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Aligarh Muslim University : क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?


अपने फैसले में Supreme Court ने कहा कि AMU(Aligarh Muslim University) को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने दिया है। इस संवैधानिक बेंच में 7 जज शामिल थे और इस मामले का फैसला कोर्ट ने 4:3 के मत से दिया है। अब इस मामले को 3 जजों की रेगुलर बेंच को भेज दिया गया है। अब यह बेंच इस बात का फैसला करेगी कि क्या AMU की स्थापना अल्पसंख्यकों ने की थी? साथ ही इसे अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं।
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Supreme Court : क्या है पूरा मामला

इस मामले की बात की जाए तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में की गई थी। इसकी स्थापना सर सैयद अहमद खान ने करवाई थी। तब इसकी स्थापना ‘अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज’ के रूप में की गई थी। इस उद्देश्य यह था कि मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान हो सके। वहीं बाद में साल1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था था। जिसके बाद इसका नाम Aligarh Muslim University पड़ा।
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AMU : पहले भी आ चुके हैं फैसले


दरअसल ,एएमयू अधिनियम में साल 1920, 1951 और 1965 में संशोधन हुए थे। वहीं से इस मामले की शुरुआत होती है। साल 1967 में Supreme Court ने कहा था कि AMU एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटी मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रयासों का परिणाम हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि यूनिवर्सिटी की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की थी। यह मामला बहुत पुराना है। साथ ही इससे जुड़े कई फैसले सुप्रीम कोर्ट और इलाहबाद हाई कोर्ट ने पहले दिए हैं।
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