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अपने फैसले में Supreme Court ने कहा कि AMU(Aligarh Muslim University) को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने दिया है। इस संवैधानिक बेंच में 7 जज शामिल थे और इस मामले का फैसला कोर्ट ने 4:3 के मत से दिया है। अब इस मामले को 3 जजों की रेगुलर बेंच को भेज दिया गया है। अब यह बेंच इस बात का फैसला करेगी कि क्या AMU की स्थापना अल्पसंख्यकों ने की थी? साथ ही इसे अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं।
Aligarh Muslim University : क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
अपने फैसले में Supreme Court ने कहा कि AMU(Aligarh Muslim University) को अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने दिया है। इस संवैधानिक बेंच में 7 जज शामिल थे और इस मामले का फैसला कोर्ट ने 4:3 के मत से दिया है। अब इस मामले को 3 जजों की रेगुलर बेंच को भेज दिया गया है। अब यह बेंच इस बात का फैसला करेगी कि क्या AMU की स्थापना अल्पसंख्यकों ने की थी? साथ ही इसे अल्पसंख्यक का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं।
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Supreme Court : क्या है पूरा मामला
इस मामले की बात की जाए तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना 1875 में की गई थी। इसकी स्थापना सर सैयद अहमद खान ने करवाई थी। तब इसकी स्थापना ‘अलीगढ़ मुस्लिम कॉलेज’ के रूप में की गई थी। इस उद्देश्य यह था कि मुसलमानों के शैक्षिक उत्थान हो सके। वहीं बाद में साल1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा मिल गया था था। जिसके बाद इसका नाम Aligarh Muslim University पड़ा। यह खबर भी पढ़ें:- UGC NET 2024 : परीक्षा में आयुर्वेद बायोलॉजी विषय को जोड़ा गया, जान लें पूरा सिलेबस
दरअसल ,एएमयू अधिनियम में साल 1920, 1951 और 1965 में संशोधन हुए थे। वहीं से इस मामले की शुरुआत होती है। साल 1967 में Supreme Court ने कहा था कि AMU एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटी मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रयासों का परिणाम हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि यूनिवर्सिटी की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की थी। यह मामला बहुत पुराना है। साथ ही इससे जुड़े कई फैसले सुप्रीम कोर्ट और इलाहबाद हाई कोर्ट ने पहले दिए हैं।
AMU : पहले भी आ चुके हैं फैसले
दरअसल ,एएमयू अधिनियम में साल 1920, 1951 और 1965 में संशोधन हुए थे। वहीं से इस मामले की शुरुआत होती है। साल 1967 में Supreme Court ने कहा था कि AMU एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि यूनिवर्सिटी मुस्लिम अल्पसंख्यकों के प्रयासों का परिणाम हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं हुआ कि यूनिवर्सिटी की स्थापना मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने की थी। यह मामला बहुत पुराना है। साथ ही इससे जुड़े कई फैसले सुप्रीम कोर्ट और इलाहबाद हाई कोर्ट ने पहले दिए हैं।