जानें क्यों नहीं मिल पाई इन स्कूलों का स्थायी मान्यता ?
प्रदेश में चल रही करीब 3200 प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए हुए जमीन और इमारत संबंधी नियमों को पूरा नहीं किया है। इसी वजह से इन स्कूलों को अभी तक स्थायी मान्यता नहीं मिली है। ये निजी स्कूल हर साल शिक्षा विभाग की ओर से एक साल का अस्थायी मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करके अपनी दुकानें चला रहे हैं। लेकिन काफी साल गुजर जाने के बाद भी इन स्कूलों ने जमीन और इमारत संबंधी नियमों को पूरा नहीं किया है और न ही हरियाणा सरकार ने इन स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है।
प्रदेश में चल रही करीब 3200 प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा विभाग की ओर से जारी किए हुए जमीन और इमारत संबंधी नियमों को पूरा नहीं किया है। इसी वजह से इन स्कूलों को अभी तक स्थायी मान्यता नहीं मिली है। ये निजी स्कूल हर साल शिक्षा विभाग की ओर से एक साल का अस्थायी मान्यता प्रमाण पत्र प्राप्त करके अपनी दुकानें चला रहे हैं। लेकिन काफी साल गुजर जाने के बाद भी इन स्कूलों ने जमीन और इमारत संबंधी नियमों को पूरा नहीं किया है और न ही हरियाणा सरकार ने इन स्कूलों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है।
31 मार्च 2018 को खत्म हो चुकी है अस्थायी मान्यता
प्रदेश के इन 3200 स्कूलों की अस्थायी मान्यता इस साल 31 मार्च 2018 को खत्म हो चुकी है। नए सत्र को चलाने के लिए इन स्कूलों को नए सिरे से अस्थायी मान्यता लेने के लिए शिक्षा बोर्ड से संबद्धता लेनी होती है। इस बार संबद्धता लेने के लिए आखिरी तारीख है 6 जुलाई, 2018 है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि इस डेट तक इन स्कूलों को अस्थायी मान्यता भी नहीं मिली तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य का क्या होगा ? सरकार के इस फैसले से लाखों बच्चों के भविष्य पर खतरे में पड़ सकता है। इतना ही नहीं पिछले साल हरियाणा सरकार ने उपायुक्तों से मान्यता देने की जिम्मेदारी को लेकर नए सिरे से जिला स्तर पर डीईओ और डीईईओ की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया था, लेकिन अभी तक ये कमेटियां भी अस्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कोई फैसला नहीं कर पाई हैं।
प्रदेश के इन 3200 स्कूलों की अस्थायी मान्यता इस साल 31 मार्च 2018 को खत्म हो चुकी है। नए सत्र को चलाने के लिए इन स्कूलों को नए सिरे से अस्थायी मान्यता लेने के लिए शिक्षा बोर्ड से संबद्धता लेनी होती है। इस बार संबद्धता लेने के लिए आखिरी तारीख है 6 जुलाई, 2018 है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि यदि इस डेट तक इन स्कूलों को अस्थायी मान्यता भी नहीं मिली तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों बच्चों के भविष्य का क्या होगा ? सरकार के इस फैसले से लाखों बच्चों के भविष्य पर खतरे में पड़ सकता है। इतना ही नहीं पिछले साल हरियाणा सरकार ने उपायुक्तों से मान्यता देने की जिम्मेदारी को लेकर नए सिरे से जिला स्तर पर डीईओ और डीईईओ की अध्यक्षता में कमेटियों का गठन किया था, लेकिन अभी तक ये कमेटियां भी अस्थायी मान्यता प्राप्त स्कूलों पर कोई फैसला नहीं कर पाई हैं।
सड़कों पर उतरेंगे प्राइवेट स्कूल संचालक
वहीं दूसरी ओर इस मामले पर हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडु ने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा था कि हमारी सरकार आने के बाद इन सभी अस्थायी प्राइवेट स्कूलों को स्थायी मान्यता प्रदान कर दी जाएगी। लेकिन अब इस सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को स्थायी मान्यता देना तो दूर एक साल के लिए मिलने वाली अस्थायी मान्यता देने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार की ओर से इन स्कूलों को अस्थायी मान्यता नहीं मिले तो प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल संचालक सड़कों पर उतरेंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
वहीं दूसरी ओर इस मामले पर हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ के अध्यक्ष सत्यवान कुंडु ने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से यह कहा था कि हमारी सरकार आने के बाद इन सभी अस्थायी प्राइवेट स्कूलों को स्थायी मान्यता प्रदान कर दी जाएगी। लेकिन अब इस सरकार ने प्राइवेट स्कूलों को स्थायी मान्यता देना तो दूर एक साल के लिए मिलने वाली अस्थायी मान्यता देने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने आगे कहा कि यदि सरकार की ओर से इन स्कूलों को अस्थायी मान्यता नहीं मिले तो प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूल संचालक सड़कों पर उतरेंगे और इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।