क्यों गिर रहे हैं शेयर ?
पेटीएम का मार्केट प्राइस अब 45 प्रतिशत से भी अधिक गिर गया है। Paytm को हो रहे घाटे के पीछे कई कारण हैं और इस रिपोर्ट में हम कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे जिस कारण Paytm घाटे में चल रहा है।
1. रेग्युलेटरी चैलेंज ( Regulatory Challenge): पेटीएम एक फिनटेक कंपनी है। ये एक पेमेंट बैंक है परंतु इस कंपनी के लिए पैसों को रेग्युलेट करना और उसे मैन्टैन करना बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
2. वॉलेट के लिए नियम और विनियम ( Rules and Regulations) : जल्द ही कई नियम वॉलेट के लिए आ सकते हैं और रेगुलेटर से कुछ नियम आ भी चुके हैं। इसके कारण पैसे को बढ़ाना या डिपॉजिट को बढ़ाना Paytm के लिए चुनौती बनकर उभरा है।
3. मर्चेंट फंडिंग में कमी आना: जब किसी कारोबारी को अपना व्यापार चलाने के लिए पैसे कम पड़ते हैं तब उन्हें किसी वित्तीय संस्था द्वारा तत्काल पैसा लोन के रुप में दिया जाता है, इसे ही मर्चेंट फंडिंग कहते हैं। पेटीएम ने मर्चेंट लेंडिंग बिजनेस को मजबूत करने के लिए नीतियां बनाईं और कई योजना भी लेकर आई परंतु इतने प्रयासों के बावजूद अपने लोन बिजनस में कमजोर साबित हुई है। यही कारण है कि पेटीएम ने अपने मर्चेन्ट बिजनस को न बढ़ाने का निर्णय लिया है।
4. रोजगार लागत में बढ़त भी एक बड़ा कारण हो सकता है।
5. प्रॉफ़िट का स्कोप कम: Macquarie का अपने टारगेट को कम करना दिखाता है कि उसे पेटीएम से लाभ की कोई उम्मीद नहीं है।
6. फंड मैनेजर का पेटीएम से दूरी बनाना भी एक बड़ी वजह है। जब फंड मैनेजरों को लगता है कि स्टॉक निकट भविष्य में कम कीमत पर ही ट्रेड कर सकता है तो वे लॉस बुक करके शेयर से बाहर निकल जाते हैं। हाल ही में एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual fund ) ने भी अपनी हिस्सेदारी पेटीएम से घटा दी है।
कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि पेटीएम 2025 से पहले लाभ नहीं कमा सकता है। ऐसे में पेटीएम को अब नए फंड मैनेजर की आवश्यकता है जिसका प्रॉफ़िट प्रोफाइल न हो। प्रॉफ़िट प्रोफाइल का अर्थ है कि उसे कंपनी से न शॉर्ट टर्म में और न ही लॉन्ग टर्म में कोई लाभ की उम्मीद है।
पेटीएम का मार्केट प्राइस अब 45 प्रतिशत से भी अधिक गिर गया है। Paytm को हो रहे घाटे के पीछे कई कारण हैं और इस रिपोर्ट में हम कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे जिस कारण Paytm घाटे में चल रहा है।
1. रेग्युलेटरी चैलेंज ( Regulatory Challenge): पेटीएम एक फिनटेक कंपनी है। ये एक पेमेंट बैंक है परंतु इस कंपनी के लिए पैसों को रेग्युलेट करना और उसे मैन्टैन करना बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
2. वॉलेट के लिए नियम और विनियम ( Rules and Regulations) : जल्द ही कई नियम वॉलेट के लिए आ सकते हैं और रेगुलेटर से कुछ नियम आ भी चुके हैं। इसके कारण पैसे को बढ़ाना या डिपॉजिट को बढ़ाना Paytm के लिए चुनौती बनकर उभरा है।
3. मर्चेंट फंडिंग में कमी आना: जब किसी कारोबारी को अपना व्यापार चलाने के लिए पैसे कम पड़ते हैं तब उन्हें किसी वित्तीय संस्था द्वारा तत्काल पैसा लोन के रुप में दिया जाता है, इसे ही मर्चेंट फंडिंग कहते हैं। पेटीएम ने मर्चेंट लेंडिंग बिजनेस को मजबूत करने के लिए नीतियां बनाईं और कई योजना भी लेकर आई परंतु इतने प्रयासों के बावजूद अपने लोन बिजनस में कमजोर साबित हुई है। यही कारण है कि पेटीएम ने अपने मर्चेन्ट बिजनस को न बढ़ाने का निर्णय लिया है।
4. रोजगार लागत में बढ़त भी एक बड़ा कारण हो सकता है।
5. प्रॉफ़िट का स्कोप कम: Macquarie का अपने टारगेट को कम करना दिखाता है कि उसे पेटीएम से लाभ की कोई उम्मीद नहीं है।
6. फंड मैनेजर का पेटीएम से दूरी बनाना भी एक बड़ी वजह है। जब फंड मैनेजरों को लगता है कि स्टॉक निकट भविष्य में कम कीमत पर ही ट्रेड कर सकता है तो वे लॉस बुक करके शेयर से बाहर निकल जाते हैं। हाल ही में एचडीएफसी म्यूचुअल फंड (HDFC Mutual fund ) ने भी अपनी हिस्सेदारी पेटीएम से घटा दी है।
कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया है कि पेटीएम 2025 से पहले लाभ नहीं कमा सकता है। ऐसे में पेटीएम को अब नए फंड मैनेजर की आवश्यकता है जिसका प्रॉफ़िट प्रोफाइल न हो। प्रॉफ़िट प्रोफाइल का अर्थ है कि उसे कंपनी से न शॉर्ट टर्म में और न ही लॉन्ग टर्म में कोई लाभ की उम्मीद है।