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रोजगार पैदा करने पर देना होगा जोर सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि कुछ अन्य मुद्दे भी भारतीयों को चिंतित करते हैं, जिसमें वित्तीय व राजनीतिक भ्रष्टाचार, अपराध व हिंसा, गरीबी और सामाजिक असमानता और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। एक बयान में इप्सोस इंडिया के पब्लिक अफेयर्स एंड कॉरपोरेट रिपुटेशन, कंट्री सर्विस लाइन लीडर पारिजात चक्रवर्ती ने कहा, “सरकार को रोजगार सृजन पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है, क्योंकि नौकरियों की कमी शहरी भारतीयों को परेशान करती है, क्योंकि ज्यादातर युवा नौकरी से जुड़ते हैं। इसके अलावा, अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भी सख्त लगाम कसने की जरूरत है।
रोजगार पैदा करने पर देना होगा जोर सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि कुछ अन्य मुद्दे भी भारतीयों को चिंतित करते हैं, जिसमें वित्तीय व राजनीतिक भ्रष्टाचार, अपराध व हिंसा, गरीबी और सामाजिक असमानता और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। एक बयान में इप्सोस इंडिया के पब्लिक अफेयर्स एंड कॉरपोरेट रिपुटेशन, कंट्री सर्विस लाइन लीडर पारिजात चक्रवर्ती ने कहा, “सरकार को रोजगार सृजन पर अधिक जोर देने की आवश्यकता है, क्योंकि नौकरियों की कमी शहरी भारतीयों को परेशान करती है, क्योंकि ज्यादातर युवा नौकरी से जुड़ते हैं। इसके अलावा, अन्य समस्याओं के समाधान के लिए भी सख्त लगाम कसने की जरूरत है।
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भारत को लेकर आशावादी चिंतित होने के बावजूद वोट में भाग लेने वाले (69 फीसदी) ज्यादातर शहरी भारतीयों ने कहा कि भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसे लेकर वे आशावादी हैं। इसके विपरीत वैश्विक नागरिक भविष्य को लेकर बेहद निराशा में दिखाई दिए। इसमें से 61 फीसदी जिन्होंने वोट में भाग लिया, उन्होंने कहा कि देश गलत राह पर जा रहा है। इस सर्वेक्षण को दुनिया भर के 28 देशों में मासिक रूप से इप्सोस ऑनलाइन पैनल प्राणाली के जरिए किया गया।
भारत को लेकर आशावादी चिंतित होने के बावजूद वोट में भाग लेने वाले (69 फीसदी) ज्यादातर शहरी भारतीयों ने कहा कि भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है, उसे लेकर वे आशावादी हैं। इसके विपरीत वैश्विक नागरिक भविष्य को लेकर बेहद निराशा में दिखाई दिए। इसमें से 61 फीसदी जिन्होंने वोट में भाग लिया, उन्होंने कहा कि देश गलत राह पर जा रहा है। इस सर्वेक्षण को दुनिया भर के 28 देशों में मासिक रूप से इप्सोस ऑनलाइन पैनल प्राणाली के जरिए किया गया।