केंद्रों में इन पैड की कीमत मात्र 1 रुपए है। जबकि मार्केट में यही सैनेटरी पैड 8 रुपए में मिलता है। लॉकडाउन के कारण देश की ग्रामीण महिलाओं ( Rural Women ) को इसकी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था। आपको बता दें कि सरकार ने विश्व पर्यावरण दिवस ( World Environment Day ) की पूर्व संध्या पर 4 जून 2018 को ऑक्सो-बॉयोडिग्रेडेबल सैनेटरी नैपकिन ( Oxo-Biodegradable Sanitary Napkins ) लांच करने का ऐलान किया था।
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करोड़ों में बिक चुके हैं पैड
पीएम जनऔषधि केन्द्रों की स्थापना से 10 जून 2020 तक केंद्रों के माध्यम से 4.61 करोड़ पैड गिक चुके हैं। सरकार ने 27 अगस्त 2019 को नैपकीन की कीमत को कम कर एक रुपए कर दी थी, जिसके बाद इन बैड की से सेल 3.43 करोड़ से ज्यादा हो गई है। मौजूदा समय में आज भी देश के कई सुदूर इलाके हैं, जहां पर महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड मिलना काफी मुश्किल है। बाजारों में यही दूसरी कंपनियों के पैड काफी महंगे होते जिन्हें खरीद पाना काफी मुश्किल होता है।
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इस तरह से तैयार होते हैं पैड
जानकारी के अनुसार यह सैनेटरी पैड पर्यावरण के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं। इन्हें जैविक रूप से नष्ट हो जाने वाली ऑक्सो-बॉयोडिग्रेडेबल सामग्री तैयार किया जाता है। जिसकी टेस्टिंग एएसटीएम डी-6954 मानकों पर की गई है। पीएम जनऔषधि केन्द्र कोविड-19 के प्रकोप के इस चुनौतीपूर्ण समय में भी अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं और आम लोगों को सस्ती दरों में जरूरी दवाओं और चिकित्सा उपकरण भी उपलब्ध करा रहे हैं।