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क्या कम होगा सैलरीड लोगों का पीएफ में योगदान
देश की इकोनॉमी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। सरकार इसके लिए तमाम प्रयास कर चुकी है। यहां तक कॉरपोरेट कर में कटौती के अलावा सरकारी कंपनियों के विनिवेश की योजनाओं पर भी काम कर रही है। एअर इंडिया के विनिवेश की योजना तो पूरी तरह से फेल हो चुकी है। सरकार के पास अब इतना रुपया नहीं बचा है कि सरकारी कंपनियों को चला सके। वहीं डिमांड ना होने के कारण कई कंपनियों का प्रोडक्शन कम हो गया है। ऑटो कंपनियां में इसका असर साफ देखा जा रहा है। जिसकी वजह से देश की इकोनॉमी में लगातार डूबती जा रही है। ऐसे में देश के सैलरीड लोगों की सेविंग्स पर पर सरकार की नजर पड़ गई है। सरकार देश के करीब 50 लाख नौकरीपेशा लोगों के पीएफ में योगदान को कम कर टेक होम सैलरी में इजाफा करने का विचार कर रही है।
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आखिर क्यों?
सरकार नौकरीपेशा लोगों के पीएफ में योगदान कम कर टेकहोम सैलरी में इजाफा करने की प्लानिंग इसलिए कर रही है, ताकि लोगों की कंज्पशन पॉवर में इजाफा हो सके। अगर ऐसा होगा तो डिमांड में भी इजाफा होगा। डिमांड बढ़ेगी तो प्रोडक्शन बढ़ेगा और जिसका असर देश की इकोनॉमी में बढ़ेगा। सूत्रों की मानें तो अभी इस बात का फैसला नहीं लिया गया है कि नौकरीपेशा लोगों के पीएफ में योगदान में कितनी कटौती की जाएगी? लेकिन ऐसा होता है तो उनकी सेविंग्स में काफी असर पड़ेगा। मौजूदा समय में पीएफ ही नौकरीपेशा लोगों की सेविंग्स का बड़ा जरिया है। मौजूदा समय में महंगाई की वजह से देश में नौकरीपेशा वाला बड़ा तबका सेविंग्स नहीं कर पा रहा है। वहीं सरकार के इस बदम के बाद लोगों की इस सेविंग्स में भी कटौती हो जाएगी।
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कंपनी के योगदान में कोई बदलाव नहीं
वहीं दूसरी ओर सरकार कंपनी के योगदान में कोई बदलाव ना करने की योजना में काम कर रही है। जानकारी के अनुसार पीएफ में कंपनी का योगदान 12 फीसदी रहता है, जो बना रह सकता है। आपको बता दें कि लेबर मिनिस्ट्री के सोशल सिक्यॉरिटी बिल 2019 में इन बातों को शामिल किया गया है। जिसे पिछले हफ्ते कैबिनेट ने मंजूरी दी गई थी। मिनिस्ट्री ने इंप्लॉयज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन और इंप्लॉयज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन की मौजूदा स्वायत्तता को बरकरार रखने का भी फैसला किया है, जबकि पहले उसने इन्हें कॉर्पोरेट जैसी शक्ल देने का प्रस्ताव दिया था।