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आरोपों से घिरा रहा है नीति आयोग
दरअसल जब से इस संस्थान का निर्माण हुआ है, ये आरोपो से घिरा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नीति आयोग की कार्यशैली पर कई आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी के मुताबिक नीति आयोग पीएम मोदी की मार्केटिंग का काम करता रहा है। राहुल गांधी ने यहां तक कहा था कि ये आयोग आकंड़ों के हेरफेर करने का काम करती है। राहुल गांधी का कहना है कि अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो इस आयोग को भंग कर दिया जाएगा।
बदलाव की जरुरत क्यों
नीति आयोग ने जनवरी के दौरान एक आंतरिक बैठक की थी, जिसमें पाया गया थी कि संस्था को मजबूत बनाने और नीतिगत मोर्चे पर की जाने वाली सिफारिशों को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। बैठक में गठन के बाद से किए गए कार्यो की समीक्षा भी की गई थी। जिसके बाद ये निकल कर आया कि इसमें बदलाव करने की जरुरत है। इसके लिए वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन विजय केलकर ने भी आयोग को फाइनेंशियल पावर दिए जाने का सुझाव दिया था। आयोग के बैठक के बाद बताया जा रहा है कि नवनिर्वाचित पीएम के सामने आयोग बदलाव के लिए प्रेजेंटेशन दे सकता है।
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इन कमियों से पार पाना कितना आसान
नीति आयोग की आतंरिक बैठक में पाया गया कि आयोग के सामने कई चुनौतियां है जिनसे पार पाना काफी मुश्किल है।
1. फंड की कमी के कारण आयोग को पायलट प्रॉजेक्ट्स पर काम करने में दिक्कत
2. एजुकेशन और टूरिजम जैसे सेक्टरों पर काम करने वाले कुशल लोगों की कमी
3. पीएम के साथ आयोग के वाइस चेयरमैन के ज्यादा संवाद की आवश्यकता
4. 3 से 5 साल के लिए एकमुश्त बजट
5. फाइनेंशियल पावर देने की बात
क्या करता है नीति आयोग
नीति आयोग सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करता है और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करने का काम करता है। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराता है। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होते है।
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