अर्थव्‍यवस्‍था

नीति आयोग पार्ट 2: आरोपों से घिरे इस सरकारी संस्थान को बदलने की जरुरत क्यों? एक क्लिक में समझिए

योजना आयोग भंग होकर बना नीति आयोग अब आगे क्या
आखिर क्यों बदलाव करना चाह रही है सरकार
PM की मार्केटिंग करने का आरोप
आंकड़ों में हेर-फेर करने का आरोप

 

Apr 25, 2019 / 10:13 am

manish ranjan

नीति आयोग पार्ट 2: आरोपों से घिरे इस सरकारी संस्थान को बदलने की जरुरत क्यों? एक क्लिक में समझिए

नई दिल्ली। NDA सरकार जब सत्ता में आई तो कई फैसलों के साथ UPA सरकार की योजना आयोग को भंग कर नीति आयोग बनाया। लेकिन अब अपने खुद के बनाए हुए इस सरकारी संस्थान को बदलने की कवायद शुरु हो गई है। नीति आयोग ने अपने नए वर्जन 2.0 के लिए मंथन शुरु कर दिया है। माना जा रहा है कि चुनाव के बाद नीति आयोग के नए रुप को पेश किया जाएगा। लेकिन सवाल है कि आखिर क्यों सरकार अपने खुद के बनाए हुए संस्थान के रुप रंग और कार्यशैली को बदलना चाहती है।

ये भी पढ़ें: चुनाव के बाद महंगाई दर से होंगे परेशान, नई सरकार नहीं बल्कि मानसून और तेल बिगाड़ेगा खेल

आरोपों से घिरा रहा है नीति आयोग

दरअसल जब से इस संस्थान का निर्माण हुआ है, ये आरोपो से घिरा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी नीति आयोग की कार्यशैली पर कई आरोप लगा चुके हैं। राहुल गांधी के मुताबिक नीति आयोग पीएम मोदी की मार्केटिंग का काम करता रहा है। राहुल गांधी ने यहां तक कहा था कि ये आयोग आकंड़ों के हेरफेर करने का काम करती है। राहुल गांधी का कहना है कि अगर कांग्रेस की सरकार सत्ता में आती है तो इस आयोग को भंग कर दिया जाएगा।

 

बदलाव की जरुरत क्यों

नीति आयोग ने जनवरी के दौरान एक आंतरिक बैठक की थी, जिसमें पाया गया थी कि संस्था को मजबूत बनाने और नीतिगत मोर्चे पर की जाने वाली सिफारिशों को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए क्या किया जा सकता है। बैठक में गठन के बाद से किए गए कार्यो की समीक्षा भी की गई थी। जिसके बाद ये निकल कर आया कि इसमें बदलाव करने की जरुरत है। इसके लिए वित्त आयोग के पूर्व चेयरमैन विजय केलकर ने भी आयोग को फाइनेंशियल पावर दिए जाने का सुझाव दिया था। आयोग के बैठक के बाद बताया जा रहा है कि नवनिर्वाचित पीएम के सामने आयोग बदलाव के लिए प्रेजेंटेशन दे सकता है।

ये भी पढ़ें: Birthday Special: खेल के पिच पर ही नहीं, बल्कि कमाई की पिच पर भी ‘मास्टर’ हैं सचिन तेंदुलकर

 

niti

इन कमियों से पार पाना कितना आसान

नीति आयोग की आतंरिक बैठक में पाया गया कि आयोग के सामने कई चुनौतियां है जिनसे पार पाना काफी मुश्किल है।

1. फंड की कमी के कारण आयोग को पायलट प्रॉजेक्ट्स पर काम करने में दिक्कत

2. एजुकेशन और टूरिजम जैसे सेक्टरों पर काम करने वाले कुशल लोगों की कमी

3. पीएम के साथ आयोग के वाइस चेयरमैन के ज्यादा संवाद की आवश्यकता

4. 3 से 5 साल के लिए एकमुश्त बजट

5. फाइनेंशियल पावर देने की बात

क्या करता है नीति आयोग

नीति आयोग सरकार के थिंक टैंक के रूप में सेवाएं प्रदान करता है और उसे निर्देशात्‍मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करने का काम करता है। नीति आयोग, केन्‍द्र और राज्‍य स्‍तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के संबंध में प्रासंगिक महत्‍वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्‍ध कराता है। इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्‍य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्‍ट विषयों पर आधारित समर्थन से संबंधित मामले शामिल होते है।

Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार,फाइनेंस,इंडस्‍ट्री,अर्थव्‍यवस्‍था,कॉर्पोरेट,म्‍युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें patrika Hindi News App.

Hindi News / Business / Economy / नीति आयोग पार्ट 2: आरोपों से घिरे इस सरकारी संस्थान को बदलने की जरुरत क्यों? एक क्लिक में समझिए

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.