केंद्र सरकार की ओर से जो नया वेज कोड लागू किया जाना है, आइए उसको समझ लेते हैं। नए वेज कोड के मुताबिक किसी कर्मचारी का मूल वेतन कंपनी की लागत यानी कॉस्ट टू कंपनी ( CTC ) का 50 फीसदी से कम नहीं हो सकता है। दरअसल अब तक कई कई कंपनियां बेसिक सैलरी को काफी कम रख कर, ऊपर से भत्ते ज्यादा देती हैं। इसका मकसद होता है कंपनी पर बोझ कम पड़े।
नए वेज कोड के लागू होने के साथ ही कर्मचारियों की टेक होम या इन हैंड सैलरी कम हो सकती है। दरअसल नए वेज कोड के मुताबिक भविष्य निधि ( PF ) और ग्रेच्युटी में कर्मचारी का योगदान बढ़ जाएगा। ऐसे में इसका सीधा असर आपकी टेक होम सैलरी पर पड़ेगा।
नए वेज कोड के लागू होने से आपकी सैलरी पर तो असर पड़ेगा ही इसका भविष्य में आपको फायदा मिलेगा। दरअसल मूल वेतन बढ़ने से कर्मचारियों का पीएफ अमाउंट भी बढ़ जाएगा। यही नहीं उनकी मासिक ग्रेच्युटी भी बढ़ेगी। लिहाजा कर्मचारी का भविष्य ज्यादा सुरक्षित होगा। क्योंकि पीएफ और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ने से उसे रिटायरमेंट पर अच्छी खासी रकम मिल सकती है।
आपको बता दें कि नए वेज कोड के मुताबिक आप किसी कंपनी में सिर्फ एक वर्ष काम कर के ही ग्रेच्युटी हकदार हो सकते हैं। जबकि अब तक किसी कंपनी में लगातार 5 साल काम करने के बाद ग्रेच्युटी मिलती है।
नए कानून के तहत कर्मचारी केवल 1 साल काम करने के बाद ग्रेच्युटी के हकदार होंगे।
नए वेज कोड और निमय के मुताबिक अब आपको अपने वेतन में बेसिक सैलरी, स्पेशल अलाउंस और बोनस पर टैक्स चुकाना होगा। यानी ये टैक्सेबल इनकम के दायरे में आएंगे। जबकि फ्यूल एंड ट्रांसपोर्ट, किताबों, न्यूज पेपर के तौर पर मिलने वाले भत्ते पूरी तरह टैक्स फ्री होंगे।
कर्मचारियों की सीटीसी (CTC) में कंपनी कई तरह के फैक्टर शामिल करती है। इसमें बेसिक सैलरी, एसआरए, पीएफ, ग्रेच्युटी, एलटीसी और एंटरटेनमेंट भत्ते जैसे फैक्टर शामिल होते हैं। नया नियम लागू होने के बाद कंपनियों को यह तय करना होगा कि बेसिक सैलरी को छोड़कर (CTC) में शामिल किए जाने वाले दूसरे फैक्टर 50 परसेंट से ज्यादा न होने पाएं। यानी इनकी जोड़-तोड़ के लिए कंपनियों की परेशानी बढ़ सकती है।
नए वेज कोड का ज्यादा असर बड़ी सैलरी वालों पर पड़ सकता है। खास तौर पर टेक होम सैलरी का बड़ा हिस्सा कम हो सकता है। दरअसल बड़ी सैलरी का पीएफ योगदान ज्यादा बढ़ जाएगा तो उनकी टेक होम सैलरी भी काफी हो जाएगी, क्योंकि जिन कर्मचारियों का वेतन ज्यादा होगा उनकी बेसिक सैलरी भी ज्यादा होगी इसलिए पीएफ योगदा भी ज्यादा कटेगा। यही नहीं बैसिक सैलरी टैक्सेबल इनकम में आती है, ऐसे में टैक्स भी ज्यादा चुकाना पड़ सकता है।