अर्थव्‍यवस्‍था

आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए मोदी को चाहिए RBI का साथ, ब्याज दरें घटाने से ही नहीं बनेगी बात

आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए केवल ब्याज दरों में कटौती से ही नहीं होगा काम।
इस साल अब तक दो बार ब्याज दरों में कटौती कर चुका है आरबीआई।
आरबीआई को बदलना होगा अर्थव्यवस्था का नजरिया।

Jun 02, 2019 / 07:14 pm

Ashutosh Verma

मोदी 2.0 को चाहिए RBI का साथ, ब्याज दरें घटाने से ही नहीं बनेगी बात

नई दिल्ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती के बीच अब दो दिन पहले भारतीय अर्थव्यस्था के लिए एक बुरी खबर आ चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi ) की अगुवाई में एनडीए सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद ही आर्थिक मार्चे पर बीते पांच सालों में सबसे बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था ने भारतीय रिजर्व बैंक ( rbi ) के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। गत शुक्रवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल 2019 की पहली तिमाही में भारत की आर्थिक ग्रोथ ( economy growth ) बीते पांच सालों के न्यूनतम स्तर पर फिसलते हुए 5.8 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई है।

यह भी पढ़ें – PM किसान निधि के लिए शुरू होगा पंजीकरण, चुनाव आचार सहिंता की वजह से किया गया था बंद

बाजार में तरलता ( liquidity ) की कमी ने बढ़ाई सबसे अधिक मुश्किलें

इस साल केंद्रीय बैंक ( reserve bank of india ) ने लगातार दो बैठकों में ब्याज दरों में कटौती की थी, लेकिन इसके बावजूद भी भारतीय अर्थव्यवस्था ( Indian economy ) में उधार लेने की लागत कम नहीं हो रही है। हालिया महीनों में बाजार को तरलता की कमी से जूझना पड़ा है। बाजार में तरलता की कमी के दो प्रमुख कारण रहे है। पिछले साल सितंबर में IL&FS डिफॉल्ट सामने आना पहला कारण रहा। वहीं, दूसरा कारण लोकसभा चुनाव के चलते नकदी की बढ़ती मांग रही है। तरलता की कमी के चलते अर्थव्यवस्था में निवेश के साथ-साथ खपत में भी कमी आई है। इन सब कारणों के बाद अब अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्रीय बैंक पर दबाव बढ़ गया है।

यह भी पढ़ें – देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री बनीं निर्मला सीतारमण, जानिए JNU से लेकर नॉर्थ ब्लॉक तक का सफर

Repo RAte
IMAGE CREDIT: Getty Image

केवल ब्याज दरों में कटौती से नहीं चलेगा काम

केंद्रीय बैंक को अब केवल ब्याज दरों में कटौती ही नहीं करनी होगी बल्कि अर्थव्यवस्था का नजरिया भी ‘उदार’ करना होगा। साथ ही केंद्रीय बैंक को वित्तीय सिस्टम में तरलता को बढ़ाने के लिए भी कदम उठाने होंगे। बजट घाटे में लगातार बढ़ोतरी के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को आरबीआई से बड़ी उम्मीद होगी। मुद्रास्फिति मध्यम अवधि में 4 फीसदी से कम रही है। एसे में केंद्रीय बैंक के पास कुछ अहम फैसले लेने का मौका है। हालांकि, बीते कुछ समय में आरबीआई ने ओपेन बॉन्ड पर्चेज, फॉरेन एक्सचेंज के जरिए बाजार में नकदी बढ़ाने का प्रयास भी किया है, लेकिन इन सबके बावजूद भी वित्तीय माहौल में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है।

यह भी पढ़ें – ILFS केस में SFIO ने दाखिल किया पहला चार्जशीट, ऑडिटर्स समेत पूर्व निदेशकों पर लगे गंभीर आरोप

Liquidty
IMAGE CREDIT: Getty Image

बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ाने पर देना होगा जोर

अर्थव्यवस्था से जुड़े कुछ जानकारों का कहना है कि बीते छह महीनों में रुपये पर कुल घाटा बढ़कर 8 अरब डॉलर के पार जा चुका है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस बात का प्रयास करना होगा कि यह अगले 6 महीनों में बढ़कर 2 से 4 अरब डॉलर अतिरिक्त हो। अर्थशास्ती अभिषेक गुप्ता का कहना है, “हमें उम्मीद करता हूं कि 6 जून को मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक के बाद आरबीआई रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करेगा। आरबीआई के लिए महत्वपूर्ण होगा कि सुस्त पड़ती आर्थिक ग्रोथ से निपटने के लिए बैंकिंग सिस्टम में तरलता को बढ़ाने पर जोर दे।” अभिषेक गुप्ता इसके लिए जून में कटौती के बाद भी इस साल रेपो रेट में दो बार और कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें – पैसे की तंगी के कारण पाकिस्तान की अवाम का जीना मुश्किल, जानें ‘कंगाल पाकिस्तान’ का क्या है हाल

Liquidty

क्या बॉन्ड यील्ड से खुले लिक्विडिटी का रास्ता

इस मामले से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, बहुत जल्द ही केंद्रीय बैंक लिक्विडिटी को कम करने के लिए अपने प्लान के बारे में जानकारी भी दे सकता है। गत तीन सप्ताह में बॉन्ड यील्ड वैश्विक स्तर के साथ कदमताल करता हुआ दिख रहा है। गत शुक्रवार को 10 साल के लिए बॉन्ड यील्ड 10 आधार अंक गिरकर 7.03 फीसदी के स्तर पर आ गया है, जो कि दिसंबर 2017 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर है। ब्लूमबर्ग से डीबीएस ग्रुप होल्डिंग्स के रेट्स स्ट्रैटेजिस्ट ऑएग्न लियु ने कहा है, “अगर आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करता है तो यह भारतीय वित्तीय बाजार को बेहतर स्थिति में लाएगा।”

Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्‍ट्री, अर्थव्‍यवस्‍था, कॉर्पोरेट, म्‍युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें Patrika Hindi News App.

Hindi News / Business / Economy / आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए मोदी को चाहिए RBI का साथ, ब्याज दरें घटाने से ही नहीं बनेगी बात

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.