अर्थव्‍यवस्‍था

पूंजीपतियों की सरकार, जनता पर डिविडेंड का भार!

कंपनियों पर लगने 20.55 फीसदी डीडीटी को हटा सकती है सरकार
अब शेयरधारकों की आय में जोड़ा जाएगा डिविडेंट, लगेगा टैक्स
डिविडेंट के सिर्फ 20 हिस्से पर मिलेगी स्टैंडर्ड डिडेक्शन की राहत

Jan 23, 2020 / 12:50 pm

Saurabh Sharma

May be an announcement to add dividend to income in budget 2020

नई दिल्ली। बजट में केंद्र सरकार ऐसा निर्णय ले सकती है, देश के पूंजीपतियों को फायदा होगा, वहीं आम जनता जबरदस्त भार बढ़ जाएगा। एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में सरकार डिविडेंड को आय में जोड़ सकती है। यानी डिविडेंड को कुल इनकम का हिस्सा माना जा सकता है। जिसके बदले में सरकार कंपनियों को राहत देते हुए डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स यानी डीडीटी को पूरी तरह से खत्म कर सकती है। यानी डिविडेंड का सारा भार कंपनियों के शेयरधारकों पर आ जाएगा। उस पर लगने वाले टैक्स अब कंपनियां नहीं शेयरधायक चुकाएंगे।

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कंपनियों को राहत
जानकारी के अनुसार बजट में इस बार शेयर बाजार से जुड़े कई अहम फैसले हो सकते हैं। जिसके डिविडेंड डिट्रिब्यूशन टैक्स भी शामिल है। डिविडेंड पर 20.55 फीसदी टैक्स देने की जिम्मेदारी देने की कंपनी की है। इसमें एजुकेशन सेस और सररचार्ज भी शामिल किया गया है। बजट में इसे पूरी तरह से हटाया जा सकता है। इसका सारा बोझ शेयरधारकों यानी आम जनता पर डाला जाएगा।

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कैसे बढ़ेगा बोझ
जानकारों की मानें तो सरकार शेयरधारकों को मिलने वाले डिविडेंड को उनकी आमदनी से जोड़ सकती है। जिसमें 20 फीसदी का स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया जा सकता है। बाकी के 80 फीसदी पर शेयरधारक को इनकट टैक्स देना होगा। इसे एक उदाहरण के साथ समझने का प्रयास करते हैं, अगर किसी को एक लाख रुपए का डिविडेंड मिलेगा तो उसे 20 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन यानी 20 हजार रुपए पर राहत मिलेगी। बाकी के 80,000 रुपए उसकी आदमनी में जोड़ दिए जाएंगे। जिसपर इनकम टैक्स देना होगा। इससे इनकम टैक्स के 30 फीसदी स्लैब में आने वालों को काफी नुकसान होगा।

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कुछ फायदे भी
कुछ जानकर इसके फायदे भी बता रहे हैं। डीडीटी हटाने के बाद की स्थिति को बेहतर बताते हुए उनका कहना है कि इससे सरकार को फायदा होगा ही साथ शेयरधारकों को ज्यादा डिविडेंड मिलेगा। डीडीटी की वजह से कंपनियों को पहले ही कुल राशि का 20 फीसदी टैक्स के तौर पर रखना पड़ता था। अगर डीडीटी हट गया तो वे पूरी राशि को डिविडेंड के तौर पर दे सकेंगी। इससे शेयरधारकों को पहले की तुलना में अधिक डिविडेंड मिलेगा। जो उनकी आदमनी से जुड़ेगा। इसका असर निचले टैक्स स्लैब में आने वालों पर ज्यादा नहीं होगा।

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