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फॉर्म-16 से मिलती है पूरी जानकारी
– इस फॉर्म में सालाना आय के बारे पूरी जानकारी के होने के साथ टैक्स डिडक्शन के बारे में भी जानकारी होती है।
– इसमें टोटल सैलरी पर कितने फीसदी टैक्स लगेगा इसके बारे में बताया जाता है।
– कितना टैक्स कटा है इस बात की भी जानकारी होती है।
– टैक्स छूट के लिए टैक्सपेयर्स को अपने कुछ इन्वेस्टमेंट डॉक्युमेंट्स जमा कराने होते हैं।
– इनमें हाउस रेंट, स्टैंडर्ड डीडक्शन, लीव या ट्रैवल भत्ता पर टैक्स छूट मिलती है।
– हाउस रेंट एक साल में एक लाख से ज्यादा है तो टैक्स छूट के लिए मकान मालिक का पैन कार्ड ऑफिस में देना होगा।
– 50 हजार रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए किसी दस्तावेज की जरुरत नहीं होगी।
– अगर आपको अपने ऑफिस से फॉर्म 16 नहीं मिला है, तो टैक्स कटौती के बारे में सैलरी स्लिप से पता चल जाएगा।
घर से होने वाली आय
– घर को किराए पर दिया है तो उस आय को इसके अंतर्गत दिखाना होता है।
– अगर किसी के पास एक घर है जिसमें वह खुद रहते हैं तो आय जीरो होगी।
– किसी घर का लोन चल रहा है तो उसके ब्याज को लेकर दो लाख रुपए तक की कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है।
– दो या तीन घर में अगर खुद ही रहते हैं तो उन पर टैक्स नहीं लगता. यह व्यवस्था 2019-20 के वित्त वर्ष से लागू हुई है।
घर से आय पर ऐसे होता है टैक्स कैल्कुलेशन
– अपेक्षित किराए और नगरपालिका मूल्यांकन की तुलना करें और दोनों का उच्च मूल्य लें, जिसे अपेक्षित किराया कहा गया है।
– वास्तविक किराये को अपेक्षित मूल्य से तुलना करें और जो इसमें उच्च होगा वह वार्षिक ग्रोस वैल्यू मानी जाएगी।
– जीएवी के दौरान नगरपालिका टैक्स में कटौती करके नेट एनुअल कॉस्ट की गणना करें।
– एनुअल कॉस्ट से 30 फीसदी घर के रखरखाव के लिए काट दें।
– लोन में ब्याज दिया है, तो काट दें और उसके बाद जो राशि आती है, वह प्रोपर्टी से आय होती है जो सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकती है।
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बिजनेस के मुनाफे और प्रॉपर्टी से प्राप्त आय
– संपत्ति जैसे कि घर, म्यूचुअल फंड आदि की बिक्री से प्राप्त आय पर टैक्स होता हैै।
– इसमें यह भी देखा जाता है कि व्यक्ति ने कितने समय तक इन संपत्तियों को बेचा है।
– शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दो प्रकार के कैपिटल गेन्स होते हैं।
– इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड और इक्विटी शेयर को अगर एक साल से ज्यादा समय तक रखा जाता है तो यह लांग टर्म कैपिटल टैक्स कहा जाता है और बिना सूचीकरण के इसमें 10 फीसदी टैक्स कटता है।
– अगर एक साल से पहले बेचे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस के तहत 15 फीसदी की कटौती होती है।
– वहीं घर को खरीदने के दो साल बाद बेचा जाता है तो उस पर एलटीसीजी लगेगा।
– मुनाफे का आंकलन कर 20.8 फीसदी तक टैकस लगेगा।
– दो साल से पहले बेचने पर एसटीसीजी लगेगा और टैक्स स्लैब के अनुसार कटौती होगी।
बिजनेस और प्रोफेशन से होने वाली आय
– वकील या अन्य इस प्रकार के प्रोफेशनल व्यक्तियों को अपने मुनाफे को दिखाना होता है।
– स्टॉक मार्केट के ट्रांजेक्शन भी दिखाने होते हैं।
– इसमें कैश सिस्टम और एक्रुअल सिस्टम से टैक्स काउंट होता है।
– कैश सिस्टम में खर्चों का भुगतान कब हुआ और कब उन्हें मुनाफा प्राप्त हुआ आदि आता है. एक्रुअल सिस्टम में वे ड्यू होते हैं, भुगतान हुआ या नहीं हुआ इससे मतलब नहीं होता है।