अर्थव्‍यवस्‍था

क्या महाशिवरात्रि के दिन भारत में 1.25 करोड़ लीटर दूध बर्बाद होता है?

महाशिवरात्रि के मौके पर देश के मंदिरों में करीब 1.25 करोड़ लीटर दूध अर्पित होने की संभावना
ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या 20.8 फीसदी
सालाना 5 लाख करोड़ रुपए का है दूध करोबार, 187.7 मिलियन टन होता है उत्पादन

Feb 21, 2020 / 01:45 pm

Saurabh Sharma

Is 1.25 crore liters of milk wasted in India on Mahashivaratri?

नई दिल्ली। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक पूरे देश में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है। इससे पहले देश में कुपोषण के कुछ आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं। भारत में 5 साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चे 35 फीसदी हैं, जबकि यूनिसेफ का यह आंकड़ा 50 फीसदी हो जाता है। एसीएफ इंडिया और फाइट हंगर फाउंडेशन के अनुसार हर साल 5 से 10 लाख बच्चे कुपोषण से मर जाते हैं। वहीं दूसरी ओर महाशिवरात्रि के दिन एक करोड़ लीटर से ज्यादा दूध बर्बाद हो जाता है। 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का दूध नालियों के रास्ते गटर में बह जाता है। हम यहां किसी की आस्था को चोट करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। बस यह दिखाने या समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि जिस देश में लोगों के पास पीने के लिए दूध ना हो, वहां पर दूध की इस तरह की बर्बादी सही है?

एक चौथाई हिंदू तो जाते ही होंगे शिव मंदिर
मौजूदा समय में देश की कुल आबादी 135 करोड़ है। जिनमें से करीब 100 करोड़ हिंदू आस्था को मानने वाले हैं। अब कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया है कि देश में रोजाना कितने हिंदू शिव मंदिरों में जाते हैं, लेकिन यह तय है कि महाशिवरात्रि के मौके पर शिव मंदिरों में जाने वाले लोगों की संख्या आम दिनों से ज्यादा होती है। अगर कम से कम भी मानें तो इस मौके पर एक चौथाई यानी 25 करोड़ लोग शिव मंदिर तो जाते ही होंगे। यह कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन इस मौके के हिसाब से यह अनुमानित आंकड़ा मान सकते हैं।

इतना चढ़ जाता होगा शिव मंदिरों में दूध
महाशिवरात्रि ही नहीं आम दिनों में भी भगवान शिव की पूजा करने वाले लोग शिवलिंग पर दूध अर्पित करते हैं, माना जाता है कि इस दिन ज्यादा लोग शिव मंदिरों में जाते हैं तो इन 25 करोड़ लोगों के पास औसतन 50 ग्राम दूध तो होगा ही। यानी देश के 1.25 करोड़ लीटर महाशिवरात्रि के मौके पर चढ़ जाता होगा। अगर इसकी कीमत की बात करें तो हाल ही में अमूल, और मदर डेयरी की ओर से कीमतें बढ़ाई गई थी। ऐसे में टोंड दूध की कीमत को आधार मानें तो 45 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से अनुमानित 56 करोड़ रुपए का दूध मंदिर की नालियों के रास्ते गटर में जाता होगा।

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करीब 21 फीसदी कुपोषण के शिकार है बच्चे
अब जरा देश के उस हिस्से को छूने की कोशिश करते हैं जिसे देश की सरकार कभी गुजरात तो कभी दिल्ली ढंकने का प्रयास करती है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2019 की रिपोर्ट के अनुसार बाल मृत्यु दर और कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या 20.8 फीसदी है। देश में 6 महीने से करीब 2 साल तक के बीच के करीब 9.6 फीसदी बच्चों को ही न्यूनतम आहार मिलता है। न्यूनतम आहार ना मिल पाने के कारण भारत में 35 फीसदी बच्चे छोटे कद के हैं और 17 फीसदी बच्चे कमजोर हैं।

देश में मिल्क इकोनॉमी
भारत दुनिया का दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में साल में 187.7 मिलियन टन होता है। देश में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 394 ग्राम है। अनुमान लगाया है कि 2025 तक यह उपलब्धता 500 ग्राम से होने के आसार है। वहीं देश में दूध के कारोबार की बात करें तो सालाना 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार है। जिनमें सवा लाख करोड़ रुपए के आसपास का कारोबार संगठित क्षेत्र का है। बाकी कारोबार अंगठित क्षेत्र का है।

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