आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही में जीडीपी विकास दर 5.6 फीसदी रही थी। कई आर्थिक एजेंसियों ने तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर 4 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। वहीं अप्रैल से दिसंबर के बीच देश की आर्थिक वृद्घि दर 5.1 फीसदी दर से बढ़ी है जबकि बीते वित्त वर्ष में समान अवधि में 6.3 फीसदी दर से बढ़ी थी।
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अभी खत्म नहीं हुई सुस्ती
अगर विकास दर के इन आंकड़ों को देखकर सुस्ती खत्म होने की संभावनाओं के बारे में सोच रहे हैं तो काफी जल्दबाजी कर रहे हैं। कोरोना वायरस ने कई देशों के आंकड़ों को बिगाड़कर रख दिया है। कुछ दिन पहले मूडीज ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि भारत के लिए अभी यह साल अच्छा नहीं रहने वाला है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से वैश्विक आर्थिक विकास दर में एक फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है।
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कोर सेक्टर की रफ्तार में इजाफा
– कोयला, रिफाइनरी उत्पादों तथा इलेक्ट्रिसिटी के उत्पादन में वृद्धि से देश की आठ बुनियादी उद्योगों की विकास दर जनवरी में 2.2 फीसदी रही।
– जनवरी 2019 में इन्फ्रस्ट्रक्चर सेक्टर्स 1.5 फीसदी की तेजी देखी गई थी।
– कोयला में 8 फीसदी की तेजी देखने को मिली।
– रिफाइनरी में 1.9 फीसदी की तेजी देखने को मिली।
– बिजली उत्पादन में 2.8 फीसदी की तेजी देखी गई।
– कच्चा तेल, नेचुरल गैस तथा फर्टिलाइजर्स के उत्पादन में गिरावट देखने को मिली है।
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संशोधित हुए आंकड़ें
क्रमबद्ध आधार पर वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 7.1 फीसदी थी जबकि दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी और तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी दर्ज की गई थी। संशोधित आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.6 फीसदी दूसरी तिमाही में 5.1 फीसदी जबकि तीसरी तिमाही में 4.7 फीसदी दर्ज की गई है।
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मूल्य के आधार पर देश की जीडीपी
वास्तविक जीडीपी यानी स्थिर मूल्य (2011-12) पर घरेलू उत्पाद 2019-20 के दौरान 146.84 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 31 जनवरी 2020 को जारी प्रथम संशोधित जीडीपी अनुमान 139.81 लाख करोड़ रुपए था। स्थिर मूल्य (2011-12) पर 2019-20 की तीसरी तिमाही में जीडीपी 36.65 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है जबकि 2018-19 की तीसरी तिमाही में यह 35 लाख करोड़ रुपये था। इस प्रकार जीडीपी वृद्धि दर 4.7 फीसदी दर्ज की गई है।