50 फीसदी छूट की मांग
सीएम को लिखे पत्र में कहा गया है एक महीने से अधिक समय तक बिजली की खपत नहीं होने पर बिजली कंपनियों को बिल जारी करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? यह सच्चाई है कि ये यूनिट्स किसी भी कामकाज को नहीं कर पा रही हैं और इसलिए उन्हें लॉकडाउन अवधि में कोई भी भुगतान करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर, हम मांग करते हैं कि दिल्ली के ग्रामीण क्षेत्रों (शहरी और ग्रामीण दोनों) में स्थित आवासीय यूनिट्स के लिए सरकार को लॉकडाउन अवधि में बिजली बिलों पर 50 फीसदी छूट प्रदान करनी चाहिए।
ना करें बिजली के बिल जारी
शाहपुर जाट समाज ने लॉकडाउन अवधि के दौरान बिजली वितरण कंपनियों द्वारा बिल जारी नहीं करने की भी मांग की है। शाहपुर गांव आरडब्ल्यूए के कार्यकारी सदस्य अमन पंवार ने बताया कि एक तरफ सरकार हमसे किराया नहीं मांगने के लिए कह रही है और दूसरी तरफ हम एसएमएस के माध्यम से वाणिज्यिक और आवासीय इकाइयों के लिए बिजली बिल प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गांव में लगभग 95 फीसदी लोग अपनी व्यावसायिक इकाइयों या किराएदारों से किराए पर निर्भर हैं। जब मालिक किरायेदारों से किराया मांगता है, तो पुलिस को बुला लिया जाता है।
दिल्ली में 380 गांव
दिल्ली ग्रामीण समाज के सचिव अनिल ज्ञानचंदानी ने भी शाहपुर जाट की मांगों का समर्थन किया और कहा कि लॉकडाउन के बाद से आवासीय इकाइयों से आय कम हो गई है, क्योंकि सरकार ने मालिकों को किराएदारों से किराया मांगने से परहेज करने के लिए कहा है। ज्ञानचंदानी ने कहा कि उनके संगठन ‘दिल्ली ग्रामीण समाज’ ने भी केजरीवाल को पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 380 गांवों के निवासियों को राहत देने की मांग की है। सरकार ने लॉकडाउन को दो सप्ताह के लिए 17 मई तक बढ़ा दिया है।