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शराब की बिक्री में 50 फीसदी की कमी
द कंफेडेरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहोलिक बीवेरेज की रिपोर्ट के अनुसार राजस्व बढ़ाने के लिए भारी मात्रा में कोरोना सेस लगाने वाले राज्यों में शराब की बिक्री में आधे से अधिक गिरावट आई है। सीआईएबीसी की ओर से जारी की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के कारण राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए शराब की बिक्री पर भारी कर के जरिए कमाई का विभिन्न राज्य सरकारों का विचार उल्टा पड़ गया है।
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कुछ ऐसी आई है रिपोर्ट
सीआईएबीसी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार जिन राज्यों ने कोई कोरोना सेस नहीं लगाया या फिर कम किया गया यानी 0 से 15 फीसदी तक का इजाफा किया गया वहां पर शराब की बिक्री में 16 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। वहीं जिन राज्यों ने 50 फीसदी से अधिक कोरोना सेस लगाया गया था, उन राज्यों में शराब की बिक्री में 59 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली है। मई और जून के आंकड़ों की तुलना में जब शराब के कारोबार को बंद करने के छह सप्ताह के बाद शराब का व्यापार फिर से खोला गया तो सीआईएबीसी ने तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। एक वर्ग में वह राज्य शामिल हैं, जहां कोरोना उपकर 15 फीसदी तक लगाया गया है। दूसरे वर्ग में 15 से 50 फीसदी से वाले राज्य और तीसरे वर्ग में 50 फीसदी से अधिक सेस लगाने वाले राज्यों को शामिल किया गया है।
सेस लगाने से नहीं बढ़ा राजस्व
सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी के अनुसार साल भर पहले के महीनों के साथ मई और जून के आंकड़ों की तुलना करें तो पहले वर्ग के राज्यों में शराब की बिक्री 16 फीसदी गिर गई, दूसरे वर्ग में 34 फीसदी और तीसरी वर्ग में 59 फीसदी बिक्री कम हुई है। गिरी ने कहा, इससे पता चलता है कि टैक्स बढऩे से सबसे अधिक संभावना है कि पूर्ण रूप से संग्रह में वृद्धि नहीं हुई। वास्तव में जून में जब अनलॉक होना शुरू हुआ तो उन राज्यों में बिक्री में सुधार देखने को मिला, जिनमें कम सेस लगाया गया है।