1.आजादी के बाद पहली बार संसद में बजट साल 1947 को पेश किया गया था। तब से लेकर पिछले साल तक बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्री इससे जुड़े अहम दस्तावेज एक छोटे से ब्रीफकेस में लेकर आते थे। इसी में देश का भविष्य बंद होता था।
2.साल 2019 में मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई अहम बदलाव करने के साथ बजट के फॉरमेट में भी बदलाव किया है। इस बार बजट को भारतीय परंपरा से जोड़कर पेश किया जा रहा है। जिसके तहत बजट का नाम बदलकर “बहीखाता’ कर दिया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यम के अनुसार बहीखाता नाम रखने का मकसद भारतीय संस्कृति को सामने लाना और पश्चिमी देश के विचारों से मिली आजादी को दर्शाना है।
3.मालूम हो कि बजट नाम फ्रेंच भाषा के बुजेट शब्द के आधार पर रखा गया था। इसलिए इसे पेश करने के लिए पश्चिमी संस्कृति का ध्यान रखा गया था। तभी लेदर के बैग या सूटकेस का इस्तेमाल किया जाता था।
4.भारतीय परंपरा के अनुसार प्राचीन समय से सभी तरह का आर्थिक लेखा-जोखा बहीखाते में रखा जाता था। चूंकि आम बजट ही देश की आर्थिक स्थिति तय करता है इसलिए इसका नाम बहीखाता किया गया है। इसे भारतीय परंपरा के अनुसार ही लाल कपड़े में लपेटा गया है।
5.इस बार ब्रीफकेस की जबह लाल कपड़े में बहीखाते के पेश किए जाने पर एक और बात खास है वो है इसका रंग। चूंकि देश का आर्थिक बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश कर रही हैं और वो देश की दूसरी ऐसी महिला नेता हैं जो देश का आम बजट पेश करेंगी।। वे एक महिला हैं और नारी को शक्ति का स्वरूप माना जाता है। नारी के तेज को लाल रंग द्वारा दर्शाया जाता है। इसलिए देश के भविष्य को भी लाल रंग के कपड़े में लपेटा गया है।
6.मालूम हो कि बैग में बजट की परंपरा अंग्रेजों ने शुरू की थी। ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने साल 1733 में सबसे पहले लेदर बैग में बजट के दस्तावेज रखकर पेश किए थे।
7. साल 1860 में बजट पेश करने के लिए लाल सूटकेस का इस्तेमाल किया गया था। इसे ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने पेश किया था। इसे बाद में ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा गया।
8.मजेदार बात यह है कि ब्रिटेन का बजट लगातार इसी बैग में हर बार पेश किया जाता रहा। मगर लंबे समय तक इस बैग को इस्तेमाल करने से इसकी स्थिति खराब हो गई। ऐसे में साल 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर बदल दिया गया।
9.साल 1947 में अंग्रेजों की गुलामी से भारत आजाद हो गया था। मगर संसद में पेश होने वाले बजट का प्रारूप वही रहा। स्वतंत्रता के बाद देश के पहले वित्त मंत्री आर के शानमुखम चेट्टी ने 1947 को पहली बार बजट पेश किया था। तब वे एक लेदर के थैले में बजट के कागज लेकर पहुंचे थे।
10. साल 1958 में बजट की यह परंपरा बदली गई और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश किया। इसके बाद साल 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट पेश करने के लिए लाल रंग के ब्रीफकेस का इस्तेमाल किया। तब से लेकर अब तक लाल ब्रीफकेस में बजट पेश किया जाने लगा। यहां तक कि 1 फरवरी 2019 का अंतरिम बजट भी पीयूष गोयल ने लाल ब्रीफकेस में ही पेश किया था।