मौली बांधने से त्रिदेव एवं त्रिदेवियों की मिलती है कृपा, इससे जादू—टोने का भी असर होता है खत्म
•Jun 11, 2018 / 09:57 am•
Soma Roy
अक्सर घर में हवन एवं पूजा—पाठ के दौरान हाथ की कलाई पर कलावा यानि मौली बांधा जाता है। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसे सही तरीके से बांधने पर व्यक्ति की किस्मत बदल सकती है। इससे व्यक्ति का रुका हुआ काम बनने के साथ कामयाबी भी मिलती है।
मौली में त्रिदेव का वास माना जाता है, क्योंकि कच्चे धागे (सूत) से बनाई गई ये मौली तीन रंगों की होती है। जिसमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल होता है। पौराणिक महत्वों के अनुसार कलावे के तीन रंग ब्रम्हृा, विष्णु एवं महेश त्रिदेव को दर्शाते हैं।
मौली को हाथ की कलाई, गले और कमर में बांधा जाता है। इसके अलावा मन्नत के लिए किसी देवी-देवता के स्थान पर एवं किसी वस्तु पर भी बांधा जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और नए काम की शुरुआत मे कामयाबी मिलती है।
कलावा कई धागों से मिलकर बना होता है। इसलिए इसके हर धागे एवं रंग का अलग मतलब होता है। ये हमें शक्ति एवं समृद्धि प्रदान करता है। इसे सही तरीके से बांधने पर व्यक्ति रोगमुक्त रहता है। इसके अलावा घर में बरक्कत भी होती है।
मौली को चंद्रमौली भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव के मस्तक पर मौजूद चंद्रमा के चलते इसे ये नाम दिया गया है। कलावा बांधने की शुरुआत देवी लक्ष्मी एवं राजा बलि ने की थी। एक यज्ञ के दौरान राजा की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था। इसलिए कलावे को रक्षा सूत्र भी कहते हैं। इसके अलावा देवी लक्ष्मी ने राजा बलि से अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए उन्हें रक्षा सूत्र बांधा था।
मौली को कलाई में बांधने से त्रिदेव एवं त्रिदेवियों की कृपा मिलती है। क्योंकि ये सभी हाथ के मणिबंध में वास करते हैं। कलावा बांधने से व्यक्ति पर कभी भी जादू—टोना एवं अन्य तांत्रिक चीजों का असर नहीं होता है।
मौली बांधने से व्यक्ति का भाग्य भी उसका साथ देता है। इससे व्यक्ति जल्द ही तरक्की करने लगता है, उसके सारे काम बनने लगते हैं। कलावे से व्यक्ति को सकारात्मक शक्ति भी मिलती है।
अगर आप किसी नए काम व व्यापार की शुरुआत करने जा रहे हैं तो वहां भी मौली बांधना लाभप्रद होता है। क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी की आप पर कृपा होती है और धन—दौलत में वृद्धि होती है।
शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। जबकि विवाहित स्त्रियों को बाएं हाथ में मौली लपेटना चाहिए। कलावा बंधवाते समय उस हाथ की मुट्ठी बंध होनी चाहिए एवं सिर ढका होना चाहिए। रक्षा सूत्र को तीन बार से ज्यादा नहीं लपेटना चाहिए।
मौली को किसी शुभ दिन बांधना चाहिए। यदि आप नियमित तौर पर कलावा बांधते हैं तो हर हर मंगलवार और शनिवार को पुरानी मौली को जरूर उतार दें। इसके बाद ही नई मौली बांधे। ध्यान रहें कि पुरानी मौली को अपवित्र स्थान पर रखें इसे किसी वृक्ष की जड़ में डाल दें व किसी प्रवाहित नदी में बहा दें।
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