1.ये मंदिर मध्य प्रदेश के के शाजापुर जिले में कालीसिंध नदी के किनारे स्थित है। इसका नाम गड़ियाघाट वाली माताजी मंदिर है। 2.ज्वाला देवी मंदिर की तरह यहां भी चौबीस घंटे दीपक जलता रहता है। मगर हैरानी की बात तो यह है कि दीपक को तेल या घी से नहीं बल्कि पानी से जलाया जाता है। एक तरफ जहां पानी से आग बुझ जाती है। वहीं इस मंदिर में माता के चमत्कार से पानी पड़ते ही दीपक और ज्यादा तेजी से जलने लगता है।
3.मंदिर के पुजारी के अनुसार मंदिर में दीपक करीब पांच साल तक लगातार जलता है। इस दीये में महज एक बार ही पानी भरा जाता है। जो इतने सालों तक कम नहीं होता है।
4.इस दीये में काली सिंध नदी का पानी भरा जाता है। चूंकि ये मंदिर इसी नदी के तट पर बसा है इसलिए माना जाता है कि इस नदी का पानी चमत्कारी है। इस नदी पर देवी मां का आशीर्वाद है।
5.बताया जाता है कि इस मंदिर में पुजारी जब एक परात में नदी से पानी भरकर लाते हैं तब वो एकदम साफ रहता है, लेकिन जैसे ही इसका दीपक जलाया जाता है ये पानी तेल की तरह चिपचिपा हो जाता है। हालांकि इसके पीछे का कारण वैज्ञानिक भी नहीं खोज सके हैं।
6.मंदिर के पुजारी के मुताबिक दीये में एक बार बाती डालने के बाद ये पांच सालों तक ऐसे ही जलती रहती है। ये बाती छोटी नहीं होती है। 7.मंदिर के पुजारी सिद्धूसिंह सोंधिया के मुताबिक मंदिर में पानी से दीया जलाने की ये बात उनसे खुद देवी मां ने स्वप्न में कहीं हैं। उनका कहना है कि वो बचपन से ही माता के भक्त रहे हैं। इसलिए वो उनकी मन से सेवा करते हैं। इसी बीच कुछ साल पहले देवी मां ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए थे।
8.उनके मुताबिक उन्होंने देवी की आज्ञा मानकर नदी के पानी से दीपक प्रज्जवलित किया तो वे खुद हैरान रह गए थे। बाद में इस बात की चर्चा दूर-दूर के गांवों तक में होने लगी।
9.पुजारी के मुताबिक काली सिंध नदी बरसात में डूब जाती है, लेकिन माता का मंदिर सुरक्षित रहता है। देवी मां के इसी चमत्कार के चलते हर पांच साल के बाद बरसात के बाद ही दीये में पानी भरा जाता है।
10.देवी मां के इस चमत्कार को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। उनका मानना है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से दर्शन करता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।