इन 10 तरीकों से सांसदों ने बचा लिए जनता के करोड़ों रुपए, विरोधियों ने भी दिया साथ
parlaiment work report : पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार इस बार सांसदों ने तय समय सीमा से किया ज्यादा काम
2016 के शीतकालीन सत्र में संसद का कामकाज 92 घंटे काम रहा था ठप
इन 10 तरीकों से सांसदों ने बचा लिए जनता के करोड़ों रुपए, विरोधियों ने भी दिया साथ
नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा के मौजूदा सत्र में सबसे ज्यादा काम होने का नया रिकॉर्ड बना है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार ये पिछले 20 सालों में सबसे ज्यादा है। सांसदों के नियमित रूप से संसद में हाजिर होने से जनता के करोड़ों रुपए बच गए है। हैरानी की बात यह है कि इस बार विरोधी पक्ष ने भी ज्यादा हंगामा किए बिना संसद की कार्यवाही में अपना सहयोग दिया है। वरना संसद में एक दिन का कामकाज भी ठप होने से जनता के करोड़ों रुपए डूब जाते।
1.पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार इस बार के मौजूदा सत्र में हुई कार्यवाही ने 20 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस सत्र में सांसद पहले की तुलना में ज्यादा जिम्मेदार दिखाई दिए।
3.सड़क एवं परिवहन के लिये अनुदान मांगों पर 7.44 घंटे, ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रालयों के लिये अनुदान मांगों पर 10.36 घंटे और खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय से संबंधित मुद्दों पर 4.14 घंटे चर्चा की है।
4.पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार इस सत्र में लोकसभा सांसदों ने अपने तय समय से अधिक काम किया है। 16 जुलाई 2019 तक लोकसभा के कामकाज का स्तर 128 प्रतिशत रहा, जो पिछले 20 वर्षों में किसी भी सत्र में सबसे अधिक है।
5.राज्यसभा में भी सांसदों की उपस्थिति ने कामकाज की रफ्तार बढ़ाई है। रिपोर्ट के मुताबिक उच्च सदन के कामकाज का स्तर मंगलवार तक 98 प्रतिशत रहा। संसद का सत्र 17 जून से शुरू हुआ था और यह 26 जुलाई को समाप्त होगा।
6.भारत की संसद के तीन सत्र होते है जिनमे लगभग पूरे वर्ष में 100 दिन संसद में कार्य होता है। इस कार्यवाही के लिए सालाना 600 करोड़ रुपए का बजट पास होता है। मगर एक दिन की भी कार्यवाही ठप होने से जनता के 6 करोड़ रुपए बर्बाद हो जाते थे। मगर मौजूदा सत्र में विपक्षी सांसदों के समर्थन से संसद का कार्य ठीक गति से हुआ है।
7.संसदीय आंकड़ों के मुताबिक रोजाना संसद के दोनों सदनों में लगभग छह घंटे काम करना होता है। मगर दिसम्बर 2016 के शीतकालीन सत्र के दौरान लगभग 92 घंटे संसद का कामकाज ठप रहा था। इससे जनता के करीब 144 करोड़ रुपए पानी में चले गए थे। मगर साल 2019 के मौजूदा सत्र में सांसदों ने तय समय सीमा से ज्यादा काम किया है।
9.आंकड़ों के अनुसार संसद में एक मिनट की कार्यवाही पर भी लाखों रुपए का खर्च आता है। अगर सांसदों के हंगामे से कामकाज एक मिनट के लिए भी प्रभावित होता है तो जनता की गाढ़ी कमाई का लगभग 2.5 लाख रुपया बर्बाद हो जाता है।
10.भारतीय संसद के लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 545 है। जिसमें एंग्लो-इंडियन समुदाय के 2 नामांकित सदस्य भी शामिल हैं। जबकि राज्यसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 245 हैं। वित्त वर्ष (अप्रैल 2015-मार्च 2016) के दौरान सांसदों के भत्ते के रूप में लगभग 177 करोड़ रूपए खर्च हुए थे। अगर इस बार सासंद कामकाज में सहयोग न देते तो भत्ते में ज्यादा रकम खर्च हो सकती थी।
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