1.पौराणिक ग्रंथों के अनुसार हनुमान समेत प्रभु श्रीराम के चरणों के चिन्ह भारत समेत कई दूसरे देशों में भी देखने को मिले हैं। थाइलैंड के एक ग्रंथ रामाकेन के अनुसार यहां भी हनुमान जी के विशालकाय पैरों के निशान देखने को मिले हैं।
2.रामाकेन ग्रंथ हिंदू पुराण रामायण का ही एक वर्जन है। इसमें बताया गया है कि थाइलैंड की राजधानी का नाम पुराने जमाने में अयुद्धय्या था। जो भारत में प्रभु श्रीराम की राजधानी अयोध्या पर आधारित था।
3.आंध्र प्रदेश की राजधानी लेपाक्षी में भी हनुमान जी के पैरों के निशान देखने को मिले हैं। हालांकि कुछ विद्वानों के अनुसार ये चरण चिन्ह् माता सीता के हैं। 4.वाल्मीकि रामायण के अनुसार जब रावण देवी सीता का हरण करके लंका ले जा रहा था तब जटायु नाम के पक्षी ने उससे युद्ध किया था। उस दौरान जटायु घायल होकर जमीन पर गिर गया था। बाद में श्रीराम सीता को ढूंढ़ते हुए वहां पहुंचे थे। तब उन्होंने जटायु को मोक्ष प्रदान करने के लिए ले पक्षी बोला था। तब से इस जगह का नाम लेपाक्षी पड़ गया।
5.श्रीलंका में भी हनुमान जी के पैरों के निशान देखने को मिले हैं। बताया जाता है कि जब हनुमान जी लंका पहुंचे थे तब वे उड़कर वहां पहुंचे थे। इस दौरान वे एक चट्टान पर तेजी से उतरे थे। उस दौरान उनके पैर एक चट्टान पर पड़े थे। उनके पैरों की तेजी से चट्टान में थोड़े गड्ढ़े हो गए थे।
6.मलेशिया के पेनांग में भी हनुमान जी के चरणों के निशान पाए गए हैं। यहां हनुमान जी के पैरों को एक छोटे से मंदिर में रखा गया है। मंदिर में आने वाले भक्त चरणों में सिक्के चढ़ाते हैं।
7.प्रभु श्रीराम और हनुमान जी के अलावा धरती पर कई ऐसे विशालकाय पैरों के निशान देखने को मिले हैं। जो दूसरे महान लोगों के हैं। ये सतयुग काल में मौजूद शक्तियों की ओर इशारा करते हैं।
9.ईसाई धर्म ग्रंथ बाइबल के अनुसार पहले भगवान धरती पर लोगों के कल्याण के लिए इंसान बनकर जन्म लेते थे। उन्हीं शक्तियों का सबूत आज देखने को मिलते हैं। 10.धार्मिक ग्रंथ के अनुसार साउथ अफ्रीका में भी विशालकाय पैरों के निशान मिले हैं। ये लगभग 200 साल पुराने बताए जाते हैं।