1.जगन्नाथ मंदिर में विराजमान मूर्तियां काफी रहस्यमयी हैं। बताया जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा किसी के भी हाथ और पैर के पंजे नहीं है। पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान की मूर्ति का कार्य विश्वकर्मा कर रहे थे। मगर उनकी शर्त थी कि उनके काम में कोई बाधा न डालें वरना वे काम रोक देंगे। मूर्तियों को देखने की चाहत में वहां के राजा ने दरवाजा खोल दिया। ऐसे में मूर्ति के निर्माण का कार्य अधूरा रह गया। इसी के चलते तीनों मूर्तियों के हाथ और पैर के पंजे नहीं है।
श्रीकृष्ण की अस्थियों से बनी हैं जगन्नाथ की मूर्तियां, मंदिर से जुड़े ये 10 रहस्य भी हैं रोचक 2.बताया जाता है भगवान जगन्नाथ समेत उनके भाई-बहन की मूर्तियों का निर्माण नीम की लकड़ियों से किया गया है। इन्हें शुद्ध माना जाता है।
3.भगवान जगन्नाथ की प्रतिमाओं के अलावा उनके रथ भी बेहद खास है। इन्हें नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है क्योंकि ये हल्की होती हैं। भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। ये शुभता का प्रतीक है।
4.भगवान जगन्नाथ के रथ को चार घोड़े खींचते हैं। इनका नाम शंख, बलाहक, श्वेत एवं हरिदाशव है। ये ये सफेद रंग के होते हैं। जबकि रथ के रक्षक पक्षीराज गरुड़ होते हैं। 5.रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उसे शंखचूड़ के नाम से जाना जाता है। रथ में एक विजय पताका के तौर पर ध्वजा भी फहराई जाती है। इसे त्रिलोक्यवाहिनी कहते हैं।

8.मालवा जगन्नाथ की मूर्ति का निर्माण राजा नरेश इंद्रद्युम्न ने कराया था। वे भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे। 9.पुराणों के अनुसार भगवान ने राजा को स्वप्न में आकर उन्हें मूर्तियों के निर्माण का आदेश दिया था। स्वप्न में कहा गया कि श्रीकृष्ण नदी में समा गए हैं और उनके विलाप में बलराम और बहन सुभद्रा ने भी अपने प्राण त्याग दिए है। उनके शवों की अस्थियां उसी नदी में पड़ी हैं।
10.भगवान के आदेशानुसार राजा ने नदी से अस्थियां बंटोरी और मूर्तियों के निर्माण के बाद प्रत्येक प्रतिमा में इसका थोड़ा-थोड़ा अंश रख दिया था।