गुरुवार को केले के पेड़ पर चढ़ा दें इन 10 में से कोई भी एक चीज, संवर जाएगी किस्मत 1.केदारनाथ धाम विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक है। इस जगह की खोज पांडवों ने की थी। दरअसल वे अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भोलेनाथ को ढूंढ़ते हुए केदारनाथ पहुंचे थे।
2.पुराणों के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान पांडवों ने अपने भाइयों से लड़ाई की थी। इस पाप के बोझ से मुक्त होने के लिए पांडव शिव जी से मिलने काशी पहुंचे थे। मगर शिव जी उनसे अप्रसन्न थे इसलिए वहां से वे कैलाश चले गए। भोलेनाथ का पीछा करते हुए पांडव कैलाश भी पहुंच गए।
3.बाद में शिव जी ने अपना रूप बदलकर पांडवों को चकमा देने की कोशिश की। आखिर में भोलेनाथ उन्हें केदार की चट्टानों में मिले। 4.भोलेनाथ ने पांडवों को वहां बैल के रूप में दर्शन दिए थे। इसके बाद वहां भू-शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी। तब से लेकर अब तक उसी शिवलिंग की पूजा की जाती है।
5.केदरानाथ मंदिर महज एक नहीं बल्कि पांच अलग-अलग मंदिरों का संमूह है। इन सभी में शिव जी के विभिन्न अंग गिरे थे। इसलिए इसे पंच केदार के नाम से भी जाना जाता है।
प्रेगनेंट महिलाएं भूलकर भी न पिएं बेल का जूस, हो सकते हैं ये 10 नुकसान 6.राहुल सांकृत्यायन के अनुसार केदारनाथ मंदिर का निर्माण करीब एक हजार साल पहले हुआ था। बताया जाता है कि इसे पांडवों ने बनवाया था। बाद में गुरु आदिशंकराचार्य ने इसका पुर्ननिर्माण कराया था। 7.यह मन्दिर छह फीट के एक ऊंचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है।
8.मंदिर के गर्भ गृह के बाहर पांच पांडवों के साथ द्रोपदी की मूर्ति भी स्थापित की गई है। इस मंदिर का निर्माण कत्युरी शैली में किया गया है। 9.माना जाता है कि केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा करना अधूरा माना जाता है। इससे तीर्थ यात्रा और दर्शन का कोई फल नहीं मिलेगा।
10.केदरनाथ मंदिर में शिव की आराधना शैव समुदाय के पुजारी करते हैं। मंदिर के पुजारी भगवान शिव की पांच मुख वाली प्रतिमा की पूजा करते हैं। ये पूजा 7 बजे शुरू होती है जो कि 8.30 बजे तक चलती है।