6 महीने बंद रहता है केदारनाथ मंदिर फिर भी जलता रहता है दीया, जाने 10 चौंकाने वाली बातें 1.जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च सन 1839 में गुजरात के एक छोटे से कस्बे नवसेरी में हुआ था। उनके पिता पारसी पादरियों के यहां व्यवसायी थे। काम के चलते उनके पिता को मुंबई आना पड़ा था। तब जमशेदजी टाटा काफी छोटे थे।
2.जमशेदजी टाटा में बिजनेस की समझ उन्हें अपने पिता से ही मिली थी। तभी वो महज 14 साल की उम्र से ही अपने पिता नुसीरवानजी के साथ व्यवसाय का काम देखने लगे थे।
3.जमशेदजी ने एल्फिंस्टन कॉलेज से पढ़ाई की है। उन्होंने इसी दौरान हीरा बाई दबू से शादी भी कर ली थी। बाद में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने पर वो पिता के साथ बिजनेस में पूरी तरह से जुट गए थे।
4.चूंकि जमशेदजी बेहद दूरदर्शी स्वभाव के थे इसलिए उन्होंने खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला लिया। उन्होंने 21 साल की कम आयु में 21000 रुपयों के साथ व्यवसाय शुरू किया था।
5.उन्होंने इन रुपयों से एक कारखाना खरीदा, जो एक तेल कंपनी का था। वो पूरी तरह से दिवालिया हो चुका था। जमशेदजी ने कारखाने को एक रुई फैक्ट्री में तबदील कर दिया। इसका नाम उन्होंने एलेक्जेंडर मिल रखा। बिजनेस के चल जाने पर उन्होंने दो साल बाद इसे अच्छे मुनाफे में बेच दिया। इसके बाद नागपुर में रुई का एक और कारखाना खोला।
शनिवार के दिन शिव मंदिर में चढ़ा दें ये चीज, मुसीबतों से छुटकारा मिलने समेत होंगे ये 10 फायदे 6.चूंकि उस समय महारानी विक्टोरिया का भारत में बहुत चलन था। इसलिए उन्होंने अपने मिल का नाम इम्प्रेस्स मिल रखा। इम्प्रेस का मतलब महारानी होता है।
7.व्यवसाय के प्रसार के लिए जमशेदजी टाटा अक्सर विदेशी दौरों पर रहते थे। इसलिए उन्हें बाहर रुकना पड़ता था। मगर उस वक्त अंग्रेजों का शासन था, इसलिए जब भी कोई भारतीय यूरोपियन होटलों में जाता तो उनके साथ बदसलूकी की जाती थी और उनकी एंट्री पर रोक लगा दी जाती थी।
8.विदेशियों के इसी रवैये से जमशेदजी टाटा बेहद खफा थे। उन्होंने उन्हें मुंह तोड़ जवाब देने के लिए मुंबई में ताजमहल होटल बनवाया। ये इतना शानदार है कि ये विदेशियों और राजघराने के लोगों का पसंदीदा होटल बन गया। इसमें करीब 540 कमरे और 44 लग्जरी सूट्स हैं।
9.जमशेदजी व्यवसाय में अपने सफल नीतियों की वजह से जाने जाते हैं। उन्होंने उस दौर में ऐसी तीन योजनाएं बनाई जिससे न सिर्फ उन्हें बल्कि देश को भी फायदा हो। उनकी तीन इच्छाएं थीं। उनमें से पहली योजना थी, खुद का लोहा व स्टील कम्पनी खोलना। दूसरा जगत प्रसिद्ध अध्ययन केन्द्र स्थापित करना और तीसरा जलविद्युत परियोजना केंद्र बनाना।
10.जमशेदजी व्यवसाय को आगे बढ़ाने के साथ कर्मचारियों के हितों का भी ध्यान रखना चाहते थे। इसलिए उन्होंने वर्कर्स के लिए कई योजनाएं बनाई थी। मगर19 मई सन 1904 में दुनिया को वे अलविदा कह गए। ऐसे में उनकी इन सभी योजनाओं को उनके बेटे रतनजी टाटा ने आगे बढ़ाया।