1.बताया जाता है कि सिद्धेश्वरनाथ महादेव का मंदिर काफी प्राचीन है। शिव पुराण में भी इसकी महिमा का वर्णन देखने को मिलता है। पुराण के अनुसार शिव का इस स्थान पर साक्षात वास है।
सोमवार को शिव का ये मंत्र दिलाएगा मनोवांछित फल, ये 10 उपाय भी हैं बेहद कारगर 2.शिव पुराण के 17वें अध्याय के रुद्र खंड के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के जंगलों में एक प्राकृतिक शिवलिंग था, जो कि जमीन के अंदर मौजूद था।
3.मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाओं के अनुसार इस शिवलिंग की खोज साल 2004 में कुछ लकड़हारों ने की थी। वे जंगल से लकड़ी काटने गए थे। तभी उन पर एक लकड़ी गिरी, जिसे हटाकर देखने पर उन्हें शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी।
4.शिव का यह धाम अरुणाचल प्रदेश के नहारलगून रेलवे स्टेशन से करीब 120 किलोमीटर दूर स्थित है। इस जगह का नाम कारडू जीरो है। 5.साल 2004 में हुए इस शिव आकृति की खोज हुई थी। इसकी ऊंचाई 24 फीट है। जबकि इसकी चौड़ाई 22 फीट है। यह विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग है।
6.शिवलिंग की खासियत है कि ये प्राकृतिक रूप से बना है। साथ ही जहां इनकी स्थापना की गई है वहां हमेशा एक झरना बहता रहता है। लोगों का मानना है कि मां गंगा खुद शिव का अभिषेक करती हैं।
7.पौराणिक कथाओं के अनुसार शिवलिंग की प्राप्ति के समय जंगल में लकड़ी काटने वालों को चमत्कारिक शक्ति के होने का एहसास हुआ था। उनके दर्शन कर घर जाते ही उनकी गरीबी दूर हो गई थी। उनकी तरक्की होने लगी थी।
9.लोगों का मानना है कि इस विशालकाय शिव के दर्शन करने से व्यक्ति की आर्थिक दिक्कतें दूर होती हैं। इससे उन्हें कभी धन की कमी नहीं होती है। इसके अलावा उन्हें मानसिक परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है।
10.शिव का ये स्वरूप अरुणाचल के वन में स्थित है। यहां शिव के अलावा गणेश जी की भी प्रतिमा स्थापित की गई है।