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दस का दम

जन्मदिन से एक दिन पहले ही थम गई ‘भुजिया किंग’ की सांसें, जानें उनके बारे में ये 10 बातें

Haldiram’s Owner Mahesh Agarwal Death : महेश अग्रवाल, जो हल्दीराम के मालिक थे उनका 4 अप्रैल को सिंगापुर में निधन हो गया
उन्हें लिवर संबंधित बीमारी थी, वे पिछले तीन महीनों से हॉस्पिटल में भर्ती थे

Apr 07, 2020 / 10:18 am

Soma Roy

Haldiram's Owner Mahesh Agarwal Death

Haldiram’s Owner Mahesh Agarwal Death

नई दिल्ली। अपने जायके से लोगों का दिल जीतने वाले हल्दीराम को भला कौन नहीं जानता होगा। तीज-त्योहार से लेकर चाय-नाश्ते पर दी जाने वाली नमकीन तक ज्यादातर लोग हल्दीराम की खाते हैं। हल्दीराम (Haldiram) भुजियावाला को इतना बड़ा ब्रांड बनाने में अपना योगदान देने वाले महेश अग्रवाल (Mahesh Agarwal) का 4 अप्रैल को सिंगापुर में निधन हो गया। महेश की मौत उनके 57वें जन्‍मदिन से ठीक एक दिन पहले हुई। तो कैसे पारिवारिक बिजनेस को आगे बढ़ाते हुए एक कामयाब व्यवसायी (Businessman) बने, आइए जानें उनसे जुड़ी खास बातें।
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1.महेश अग्रवाल, गंगाविशन अग्रवाल के पोते हैं। गंगाविशन ने भुजिया की एक छोटी—सी दुकान राजस्थान के बीकानेर में खोल थी। बाद में उनके बड़े बेटे रामेश्वर लाल, जो महेश के पिता हैं उन्होंने इसे आगे बढ़ाया। इस तरह महेश अग्रवाल ने अपने पारिवारिक कारोबार को संभाला। उन्होंने इसकी शुरुआत कोलकाता से की।
2.बीकानेर में भुजिया की दुकान की शुरुआत साल 1937 में हुई थी। इसमें नमकीन के अलावा मिठाइयां भी बेची जाती थी। हालांकि बताया जाता है कि नमकीन बेचने का सबसे पहला काम गंगाविशन के पिता यानी महेश अग्रवाल के पर दादा ने की थी। बाद में साल 1970 में कोलकाता में मैन्यूफैक्चरिंग की शुरुआत की गई। जिसका श्रेय महेश के पिता को जाता है।
3.पारिवारिक बिजनेस को सभी लोगों ने अच्छे से बढ़ाया, लेकिन इसे व्यापक स्तर पर फेमस बनाने में महेश अग्रवाल का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों से साथ मिलकर एक रोडमैप तैयार किया कि कैसे व्यापार को आगे बढ़ाया जाए।
4.अग्रवाल परिवार ने हल्दीराम की दिल्ली में एक कंपनी खोली। जिसकी शुरुआत 1883 में हुई। महेश की अगुवाई में कंपनी को साल 1990 में खास पहचान मिली। तभी से लोग हल्दीराम को व्यापक तौर पर जानने लगे।
5.महेश अग्रवाल के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनका एक बेटा और तीन बेटियां हैं। उनकी पत्नी का नाम मीना अग्रवाल है।

6.महेश अग्रवाल पिछले तीन महीनों से
वे सिंगापुर के एक हॉस्पिटल में एडमिट थे। उन्हें लिवर से संबंधित बीमारी थी।
7.लॉकडाउन के चलते महेश की पत्नी और बेटी वहीं फंसे हुए हैं। चूंकि सिंगापुर में हिंदू रीति-रिवाजों के तहत अंतिम संस्कार नहीं होता है इसलिए मजबूरी में परिवार को वहां के तौर तरीकों से अंतिम संस्कार पर हामी भरनी पड़ी।
9.महेश के परिवार की इच्छा थी कि उनकी अंतिम विदाई दिल्ली में हो और पूरे भारतीय रीति-रिवाज से, लेकिन ऐसे हालात में वे वहां से आ नहीं पा रहे हैं। इसलिए महेश की पत्नी और बेटी ने दूतावास में एक अर्जी दी है।
10.मालूम हो कि हल्दीराम कंपनी नागपुर में करीब 100 एकड़ जमीन में फैली हुई है। इसके अलावा बीकानेर, कोलकाता और दिल्ली में कंपनी का बड़ा कारोबार है। कंपनी को खास पहचान इसकी ट्रेडिशनल भुजिया से मिली।

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