दस का दम

कुबेर के खजाने से कम नहीं ये छिपकली, इसकी कीमत सुनकर चकरा जाएगा सिर

पूरी दुनिया में करीब 1500 प्रजातियां हैं गीको छिपकलियों की, ये 60 सेंटीमीटर तक हो सकते हैं लंबे

Jun 29, 2018 / 09:32 am

Soma Roy

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अक्सर घरों में हमें छिपकलियां दिख जाती हैं तो हम उसे भगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर आपको पता चले कि यही छिपकली आपको लखपति बना सकती है तो आप उसे सहेजने की कोशिश करेंगे। आज हम आपको दुनिया की सबसे अनोखी और मंहगी छिपकली के बारे में बताएंगे जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपए है।

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अक्सर घरों में हमें छिपकलियां दिख जाती हैं तो हम उसे भगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन अगर आपको पता चले कि यही छिपकली आपको लखपति बना सकती है तो आप उसे सहेजने की कोशिश करेंगे। आज हम आपको दुनिया की सबसे अनोखी और मंहगी छिपकली के बारे में बताएंगे जिसकी कीमत करीब 40 लाख रुपए है।

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गीको प्रजाति की छिपकलियों की लंबाई काफी ज्यादा होती हैं। ये 20 से 60 सेंटीमीटर तक हो सकते हैं। अब तक का सबसे बड़ा गीको न्यूजीलैंड में पाया गया है। इनका वजन करीब 200 ग्राम तक होता है। गीको छिपकलियों की मांग इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा है। ये करीब 30 से 40 लाख रुपए में बिकते हैं।

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गीको की ज्यादातर प्रजातियां निशाचर होती हैं। इनकी आंखों की पुतलियों में एक खास लेंस रहता है जिससे ये रात में भी अपने शिकार को बहुत आसानी से देख लेते हैं। रिसर्चरों के मुताबिक इनकी आंखे रात में इंसानों से करीब 350 गुणा ज्यादा तेज होती हैं।

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इन छिपलियों की आंखों में आईलिड नहीं होती है। इसकी जगह एक पारदर्शी खाल की परत होती है। ये छिपकलियां अपने लिए रक्षात्मक व्यवहार रखती हैं। यदि इन पर कोई मुसीबत आती है तो ये इससे बचने के लिए तुरंत अपनी पूंछ को छोड़ देती हैं।

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इन छिपकलियों को टॉके के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि ये इस तरह की विशेष आवाज निकालती है। गीको ज्यादातर दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे— बिहार, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाती हैं।

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गीको छिपकली के इतने ज्यादा मंहगे बिकने का कारण इनके शरीर में मौजूद पोषक तत्वों का होना हैं। इनके शरीर के कुछ हिस्सों का प्रयोग एड्स, कैंसर और मधुमेह जैसे रोगों की दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इससे मर्दानगी बढाने वाली दवाइयां भी बनाई जाती हैं।

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इन छिपकलियों की एक और खासियत यह है कि ये किसी भी सतह पर रह सकती हैं। इनके ग्लैंड से एक खास तरह का रसायन निकलता है जो उन्हें सतह पर टिके रहने में मदद करता है। गीको कई रंग और पैटर्न के होते हैं।

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ये छिपकलियां सांप की तरह अपनी स्किन को छोड़ते हैं। ऐसा ये नियमित अंतराल पर करते रहते हैं। खासतौर पर इनकी एक प्रजाति, जिसे लेपर्ड गीको कहते हैं। ये 2 से 4 सप्ताह में अपनी स्किन को छोड़ता है।

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वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स के मुताबिक रेपटाइल प्रजाति के गीको जिसे टोकयो गीको भी कहते हैं। इसकी डिमांड इंटरनेशनल मार्केट में सबसे ज्यादा है। तभी ये प्रजातियां खतरे में पड़ गई हैं। इनकी तस्करी की जा रही है। इसकी रोकथाम के लिए कड़े प्रयास किए जा रहे हैं।

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