1.मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी जन्म 22 नवंबर, 1940 को विभाजित भारत के पंजाब स्थित मोंटागोमरी में सिख परिवार जन्मे थे और 1962 में होशियारपुर के गवर्नमेंट कॉलेज से बी.ए की। 2.1963 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी द्वारा पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन में उन्हे शामिल किया गया और पाकिस्तान से युद्ध के समय उन्होने मेजर के पद पर कार्य किया और बाद में ब्रिगेडियर के पद से सेवानिवृत्त हुए।
3.लोंगेवाला स्थित पुलिस चौकी पर जब पाकिस्तान ने युद्ध के लिए रूख किया उस चौकी का जिम्मा मेजर कुलदीप सिंह के पास था और उनके पास केवल 120 सौनिक थे और सामने बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फौज थी।
4.कुछ ही देर बाद पाकिस्तानी फौज ने गोले बरसाने शुरू कर दिए और जवाबी हमले में भारत ने भी फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग इतनी दमदार थी कि पाकिस्तनी सेना को आगे बढ़ने से रोक दिया गया।
5.पाकिस्तानी सेना मेें 2000 से अधिक जवान थे तो भारत के पास केवल 120 जवान थे। फिर भी भारतिय फौज ने पाकिस्तान के कई टैंक तबाह कर दिए और उन्हे कई किलोमीटर पीछे कर दिया।
6.इस युद्ध में इतना शानदार प्रदर्शन करने के लिए भारत सरकार द्वारा मेजर कुलदीप सिंह को महावीर चक्र से भी सम्मानित किया गया था। 7.इस युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह और अन्य फौज ने पाकिस्तानी फौज पर मौत बनकर कहर ढाया क्योंकि युद्ध के अगली सुबह उन्हे वायु सेना का भी समर्थन मिल गया था और युद्ध के अंत में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की पूरी ब्रिगेड और रेजिमेंट को खत्म कर दिया।
8.इस युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह का नेतृत्व असाधारण था और युद्ध के दौरान मेजर कुलदीप हर बंकर में जाकर भारतीय फौज का मनोबल बढ़ाने के काम कर रहे थे। 9.इस युद्ध में पाकिस्तान के करीब 500 जवान घायल हुए और 200 से ज्यादा जवान मारे गए और पाकिस्तान के शर्मनाक हार हुई।
10.इस युद्ध में मेजर कुलदीप सिंह के नेतृत्व की चारों तरफ सराहना हुई और उनके जीवन को फिल्म के रूप में लोगों के बीच लाया गया।