1.शेरशाह सूरी का नाम पहले फरीद खान हुआ कता था। चूंकि शेरशाह बचपन से ही पराक्रमी स्वभाव के थे। इसलिए एक बार उन्हें किसी ने शेर का शिकार करने को कहा तो वे झट से तैयार हो गए। शेरशाह ने अपनी वीरता दिखाते हुए एक ही पल में शेर के जबड़े के दो टुकड़े कर दिए। उनके इसी पराक्रम के चलते उन्हें शेर खां नाम दिया गया।
2.शेरशाह सूरी को वास्तुकला में भी बेहद दिलचस्पी थी। उनकी कारीगरी की झलक झेलम में बने उनके रोहतास किले में देखने को मिलती है। इसके अलावा दिल्ली में स्थित पुराने किले की बनावट में भी शेरशाह सूरी का हाथ था।
3.शेरशाह सूरी ने अपने शासन काल में रुपए के चलन की शरुआत की थी। उन्होंने अपनी सत्ता के दौरान टनका नामक मुद्रा चलाई थी। जो सोने और चांदी के बने हुए सिक्के होते थे।
4.शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल में ग्रांड ट्रंक रोड का भी निर्माण कराया था। ये अभी तक की भारत की सबसे लंबी सड़क है। शेरशाह ऐसा रास्ता बनाना चाहते थे जो दक्षिणी भारत को उत्तर के राज्यों से जोड़ सके।
5.शेरशाह ने अपने शासनकाल में भारतीय पोस्टल विभाग की स्थापना में भी अहम योगदान दिया था। उन्होंने व्यापार के विस्तार के लिए इसकी शुरुआत की थी। 6.शेरशाह बचपन से ही आत्मनिर्भर रहे हैं। क्योंकि उनकी सौतेली मां से बनती नही थी। वो उनके बर्ताव से परेशान थे। इसलिए वो घर छोड़कर जौनपुर चले गए थे। यहीं उन्होंन अपनी पढ़ाई पूरी की थी।
7.बाद में वे सन 1522 में जमाल खान की सेवा में चले गए, लेकिन उनकी सौतेली मां को उनका ये काम पसंद नहीं आया। ऐसे में शेरशाह को अपना काम छोड़ना पड़ा। बाद में वे बिहार के स्वतंत्र शासक बहार खान नुहानी के दरबार में काम करने लगे।
9.इसी दौरान शेरखां के पिता की मौत हो गई। ऐसे में शेरशाह ने अपने पिता की सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया। उनके इस रवैये के चलते उनकी अपने सौतेले भाई से भी लड़ाई हो गई थी।
10.एक सफल शासक बनने की धुन में शेरशाह ने बहार खान की मौत के बाद उनके राज्य पर भी अपना कब्जा जमा लिया था। इसके बाद वे बाबर के शासन में शामिल हो गए थे।