पुण्यतिथि : रानी दुर्गावती के बारे में ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, अकबर का भी आया था इन पर दिल
Rani Durgawati Death : दुर्गावती का विवाह गोंडवान के राजकुमार दलपत शाह के साथ हुआ था
रानी दुर्गावती की मौत मुगल सेना से युद्ध के दौरान तीर लगने से हुई थी
पुण्यतिथि : रानी दुर्गावती के बारे में ये 10 बातें नहीं जानते होंगे आप, अकबर का भी आया था इन पर दिल
नई दिल्ली। चंदेल वंश में जन्मी रानी दुर्गावती के शौर्य की कहानी जग जाहिर है। उन्होंने न सिर्फ दुश्मनों को धूल चटाई बल्कि महिलाओं के लिए एक मिसाल भी कायम की। आज ही के दिन मुगलों से जंग लड़ते हुए रानी दुर्गावती की मौत हो गई थी। इस मौके पर हम आपको उनसे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।
1.रानी दुर्गावती का जन्म कलिंजर के राजा कीर्ती सिह (शालीवाहन) के यहां हुआ था। रानी के जन्म की तारीख को लेकर थोड़ा संशय है। मगर विद्वानों के अनुसार उनका जन्म 5 अक्टूवर 1524 ईसवी को हुआ था। बताया जाता है कि उस दिन दुर्गाष्टमी थी इसलिए उनका नाम दुर्गावती रखा गया।
3.दुर्गावती का विवाह गोंडवाना के राजा संग्राम शाह मंडावी के बेटे दलपत शाह के साथ हुआ था। रानी दलपत शाह की वीरता से बहुत प्रभावित थीं। इसलिए उन्होंने उनसे शादी करने के लिए दलपत को गुप्त तरीके से संदेसा भेजा था। जिसके बाद दलपत शाह ने दुर्गावती से अपने कुल देवी के मंदिर में शादी कर ली और उन्हें अपने साथ गोंडवाना ले आए।
4.शादी के कुछ साल बाद ही दलपत शाह की मौत हो गई। ऐसे में राजगद्दी को संभालने के लिए उनका बेटा नारायण शाह ही उत्तराधिकारी बचा। मगर उसकी उम्र महज 3 साल होने के चलते रानी दुर्गावती ने अपने बेटे को राजगद्दी पर बैठाकर संरक्षिका के रूप मे शासन चालाने का फैसला लिया था।
5.रानी दुर्गावती के सत्ता संभालते ही उन्हें सब महिला मानकर कमजोर समझने लगे। ऐसे में रानी ने अपने पराक्रम से सभी दुश्मनों को धूल चटा दी। उनके साहस को देखकर बाजबहादुर जैसे दुश्मन को भी युद्ध के मैदान से भागने पर मजबूर होना पड़ा था।
6.रानी दुर्गावती की वीरता के किस्से दूर-दूर तक फैलने लगे थे। इन सबसे मुगल शासक अकबर भी हैरान हो गए थे। चूंकि रानी बहादुर होने के साथ देखने में भी अच्छी थी, इसलिए अकबर का दिल उन पर आ गया था। वे उन्हें अपनी बीवी बनाना चाहते थे।
7.अकबर ने रानी दुर्गावती को मजाक में एक सोने का पिजड़ा भेजा था। जिसमें अकबर ने संदेश दिया था कि रानियों को महल के अंदर ही सीमित रहना चाहिए। मगर रानी ने अकबर को करारा जवाब दिया था। इससे अकबर नाराज हो गए थे।
8.अकबर ने रानी दुर्गावती और उनके राज्य को हासिल करने के लिए आसफ खां को भेजा था। मगर रानी दुर्गावती से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 9.रानी दुर्गावती ने अपने कुशल शासन के चलते गोंडवाना साम्राज्य पर 15 या 16 साल तक राज किया था। उन्होंने लोक कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे।
10.रानी दुर्गावती अपने राज्य को सुरखित रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही थीं। मगर हार से बौखलाए आसफ खां ने दोबारा रानी के राज्य पर हमला कर दिया। मुगलों की विशाल सेना के सामने रानी के सैनिक ज्यादा देर नहीं टिक पाए। ऐसे में रानी ने पूरी कमान खुद संभाल ली। वो हाथी पर बैठकर एक पुरुष का वेष धरकर युद्ध लड़ने पहुंची। मगर इसी दौरान उनकी आंख और गर्दन में तीर लगने से उनकी मौत हो गई थी।
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