दस का दम

हीरो बनने के चक्कर में टूट गई थी अशोक कुमार की शादी, मच गया था घर में कोहराम, जन्मदिन पर जाने उनसे जुड़ी 10 मजेदार बातें

दादा मुनि के नाम से वाले अशोक कुमार का आज जन्मदिन है

Oct 13, 2019 / 02:53 pm

Vivhav Shukla

नई दिल्ली। आज बॅालीवुड के सदाबहार अभिनेता अशोक कुमार का जन्मदिन है। अशोक कुमार की छवि भले ही एक सदाबहार अभिनेता की रही है लेकिन वे फिल्म इंडस्ट्री के पहले एक्टर थे जिन्हें हीरो बनने का मौका मिला था। 13 अक्टूबर 1911 के दिन जन्में अशोक कुमार को लोग दादा मुनि के नाम से बुलाते थे। उनका ये नाम ही उनका सिग्नेचर था। अशोक कुमार के छोटे भाई का नाम किशोर कुमार है। वे एक महान सिंगर थे।आज ही के दिन ही उनके भाई किशोर कुमारा का देहांत हुआ था। भाई की मौत के बाद से अशोक कुमार ने अपना जन्मदिन मनाना छोड़ दिया था। अशोक के जन्मदिन पर हम आपको उनसे जुड़ी दस मजेदार बातें बताने जा रहे हैं जो बहुत कम लोगों को पता है।
1- अशोक कुमार का जन्म बिहार के भागलपुर में गंगा तट पर स्तिथ आदमपुर मोहल्ले में 13 अक्टूबर 1911 को हुआ था। बचपन में अशोक का नाम कुमुद लाल गांगुली था। बाद में उन्होंने अपना नाम बदल कर अशोक कुमार रख लिया था।
2- अशोक कुमार का मन एक्टर बनने का नहीं था। वे फिल्मों में बतौर टेक्नीशियन काम करना चाहते थे। लेकिन किस्मत में हीरो बनना था।

3- अशोक कुमार फिल्म इंडस्ट्री के पहले एक्टर थे जिन्हें हीरो बनने का मौका मिला था।
4- बतौर एक्टर पहली बार अशोक ने फिल्म ‘जीवन नैया’ (1936) में नजर आए थे। इस फिल्म के एक गाने को अशोक कुमार ने अपनी आवाजा में गाया था। इसके बोल थे – “कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा”। बाद में उनके भाई किशोर कुमार ने 1961 में फिल्म ‘झुमरू’ में यही गाना रिवाइव किया।
5- अशोक कुमार के करियर की शुरुवात बॉम्बे टॉकीज से की थी। वह इस फिल्म में तकनीशियन थे | उनके हीरो बनने के कहानी भी गजब की है। हुआ यूं कि एक बार देविका रानी के हीरो नजीमल हुसैन सेट से भाग गये थे , जिस वजह से बॉम्बे टॉकीज के हिमांशु रॉय काफी परेशान हो गए। हिमांशु ने अशोक को देखा और कहा अब तुम ही देविका के हीरो हो। देविका रानी और अशोक कुमार की जोड़ी खूब हिट भी रही। फिल्म “अछूत कन्या ” में इन दोनों के अभिनय को लोगो ने खूब सराहा था।
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6- अशोक जब हीरो बने तो उनके घर में कोहराम मच गया।इसके साथ ही उनकी तय शादी भी टूट गई। उनके पिता अपने दोस्त रवि शंकर शुक्ला के पास गए और अशोक के लिए नौकरी मांगी।
7- रवि शंकर शुक्ला ने अशोक के लिए दो नौकरियों के ऑफर लेटर दिए। एक था आय कर विभाग के अध्यक्ष का पद जिसकी महीने की तनख्वाह 250 रुपये थी। इस बात से पिता खुश हो गए ऐर अशोक के पास गए। पिता ने अशोक से कहा एक्टिंग छोड़ के ये नौकरी कर लो।
8- अशोक दोनो ऑफर लेटर के साथ हिमांशु राय के पास गए और कहा कि उनके पिता बाहर खड़े हैं और उनसे बात करना चाहते हैं। इसके बाद राय ने उनके पिता को समझाया और वे मान गए। थोड़ी देर बाद उनके पिता उनके पास आए और नौकरी के कागज़ फाड़ दिए।
9- अशोक सब कुछ भूल सकते थे लेकिन सुबह का नाश्ता नहीं। उनका कहना था कि पूरे दिन कड़ी मेहनत करने के लइए ब्रेकफास्ट सबसे ज्यादा जरूरी है।

10- साल 1968 में आई फिल्म आर्शीवाद के लिए उन्‍हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इसके साथ ही उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड और पद्म भूषण अवार्ड से भी नवाजा गया था। 10 दिसंबर 2001 को अशोक इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए ।

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