1.अमरनाथ यात्रा की शुरूआत सोमवार से होगी इसके लिए भक्तों का पहला जत्था गाजे-बाजे के साथ रवाना कर दिया गया है। इस बार शिव की आकृति करीब 22 फुट की बनी है। बताया जाता है कि शिव के आकार में परिवर्तन की सबसे बड़ी वजह श्रृष्टि में होने वाले बदलाव हैं। पुराणों के अनुसार जिस तरह चंद्रमा की आकृति घटती.बढ़ती रहती हैए वैसे ही अमरनाथ में बनने वाला शिव की आकृति भी प्राकृतिक महौल के अनुसार बनती है।
2.माना जाता है कि देश में जब सुख-समृद्धि आने वाली होती है तो बाबा बर्फानी का आकार ठोस और बड़ा होता है। मगर जब देश में अशांति का महौल होता है या प्राकृतिक आपदाएं ज्यादा आती हैं तब शिव की आकृति छोटी होती है।
3.अमरनाथ धाम की यात्रा आषाढ़ मास से आरंभ होती है और रक्षाबंधन तक चलती है। अमरनाथ की इस पवित्र गुफा की खोज एक मुस्लिम गड़रिए ने की थी। उसका नाम बूटा मलिक था। 4.बताया जाता है कि बूटा के वंशज आज भी मौजूद हैं इसलिए उन्हें अमरनाथ में चढ़ाई गई धनराशि का एक हिस्सा दिया जाता है। ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं।
5.पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में देवी पार्वती को अमर कथा सुनाई थी। यहां पास में देवी का एक शक्तिपीठ भी है। जहां देवी सती का कंठ गिरा था। 6.अमरनाथ में भगवान शिव के अद्भुत हिम आकृति के दर्शन के साथ ही माता माता सती का शक्तिपीठ होना एक दुर्लभ संयोग है। इस गुफा में केवल शिव जी का ही नहीं बल्कि माता पार्वती और गणेश के स्वरूप भी बनते हैं।
7.बताया जाता है कि जब भगवान शिव देवी पार्वती को अमर कथा सुनाना चाहते थे तब वे नहीं चाहते थे कि ये कहानी कोई और सुने। इसलिए उन्होंने अपने गले में धारण नाग को अनंतनाग में रख दिया और पहलगाम में अपने नंदी यानी बैल को छोड़ दिया। जबकि सिर के चंदन और चंद्रमा को उन्होंने चंदनबाड़ी में रख दिया।
9.इसके अलावा भगवान शिव ने मार्ग में पड़ने वाले पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर तथा शेषनाग को शेषनाग नामक स्थान पर छोड़ दिया। ऐसी जगहों को अमरनाथ यात्रा का अहम मार्ग माना गया। इसी वजह से यात्रियों का जत्था इन महत्वपूर्ण जगहों से होकर गुजरता है।
10.जब भगवान शिव माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुना रहे थे तब एक तोता और दो कबूतरों का जोड़ा भी मौजूद था। चूंकि इन्होंने भी अमरकथा सुन लीए ऐसे में वे भी अमरत्व को प्राप्त हुए।