युवकों को डॉक्टर ने स्पष्ट कहा कि अगर महिला के पास किसी तरह का आश्रय नहीं है तो वे उसे पुलिस की मदद से कहीं सुरक्षित स्थान में ठहरा सकते हैं। जिला अस्पताल में मनोरोग का केवल ओपीडी है, भर्ती की सुविधा नहीं है। इसके बाद भी युवकों ने उस महिला को भर्ती करने के लिए दबाव बनाया।
वैसे तो अस्पताल की सुरक्षा की जिम्मेदारी नगर सैनिकों को दी गई है, लेकिन कोविड-19 में जिला अस्पताल के नगर सैनिकों की ड्यूटी आइसोलेशन सेंटर में लगाई जा रही है। अभी छत्तीसगढ़ आम्र्स फोर्स के 1 अधिकारी 4 कर्मचारी को तैनात किया गया है, लेकिन घटना के समय वे गायब थे। सिविल सर्जन डॉ. पी बालकिशोर ने बताया कि घटना की सूचना मुझे देर से मिली। सुबह अस्पताल आने के बाद हमने घटना की शिकायत लिखित में सिटी कोतवाली को दी है। युवक भी पुलिस अभिरक्षा में है। अब आगे की कार्रवाई पुलिस करेगी।