जिला पंचायत के सीईओ एस आलोक ने बताया नगर पालिका निगम रिसाली व नगर पंचायत उतई द्वारा नियमित रूप से सुरक्षित डि-स्लजिंग करने के लिए पतोरा प्लांट में वाहन भेजा जा रहा है। नगर पंचायत पाटन में उपलब्ध डि-स्लजिंग वाहन के माध्यम से भी पतोरा प्लांट तक फिकल स्लज पहुंचाया जाएगा। प्लांट के संचालन के लिए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भूरे ने निर्देश जारी किए हैं। जिसके मुताबिक प्रत्येक 2-3 वर्ष मेे सेप्टिक टैंक खाली कराने व अपशिष्ट जल की डि-स्लजिंग फिकल स्लज ट्रिटमेंट प्लांट में ही अनिवार्यत: कराया जाना है। सेप्टिक टैंक खाली करने वाली शासकीय व निजी संस्थाओं को डि-स्लजिंग इसी प्लांट में कराया जाएगा। इसके अलावा शासकीय कार्यालयों व भवनों, शालाओं, आंगनबाड़ी केन्द्रों, सामाजिक भवनों आदि में निर्मित शौचालयों के सेप्टिक टैंक को 3 वर्षों में खाली कर सेंटर में सुरक्षित निपटान किया जाएगा।
डि-स्लजिंग के लिए शासकीय व निजी संस्थाओं के संपर्क के लिए व्यक्तियों के नाम, मोबाइल नंबर एवं निर्धारित शुल्क जारी किया जाएगा। शुल्क नामिनल रखा जाएगा। नगर निगम, नगर पालिका निगम, नगर पंचायत, जनपद पंचायत व ग्राम पंचायत फिकल स्जल के सुरक्षित निपटान के लिए जिम्मेदार रहेंगे।
सेप्टिक टैंक से निकलने वाले अपशिष्ट जल को बिना ट्रिटमेंट किए मैदान, खेत, तालाब, नाली आदि खुले स्थानों में बहाया जाना प्रतिबंधित किया गया है। फिकल स्लज को खुले में बहाए जाने पर कार्रवाई भी की जाएगी। जल शक्ति मंत्रालय दिल्ली द्वारा फिकल स्लज मैनेजमेंट परियोजना पर कार्य के लिए जिले को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में चयनित किया है।
अधिकारियों ने बताया कि प्लांट सरपंच अंजीता गोपेश साहू के योगदान से शासकीय भूमि में स्थापित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में सेप्टिक टेंक साफ कराने के लिए ग्राम पंचायत को एक वाहन उपलब्ध करने की योजना है। जिसमें न्यूनतम शुल्क लेकर ग्रामों को सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जल्द ही दुर्ग व धमधा में भी प्लांट बनाने पर विचार किया जा रहा है।