दो जगह हुई जांच
चिक्की की जांच विभाग ने दो जगह कराया था। सरकारी सप्लाई होने की वजह से बीज निगम की लैब में इसे भेजा गया था। वही चिक्की की विश्वसनियता को और भी बेहतर ढंग से परखने निजी लैब में भी इसे जांच के लिए भेजा गया था। दोनों ही लैब की रिपोर्ट सही आई और चिक्की में किसी प्रकार की कोई खराबी नहीं पाई गई। वही बच्चों की तबियत बिगडऩे का कारण पहले ही चिक्की का ज्यादा खाना बताया गया था।
चिक्की की जांच विभाग ने दो जगह कराया था। सरकारी सप्लाई होने की वजह से बीज निगम की लैब में इसे भेजा गया था। वही चिक्की की विश्वसनियता को और भी बेहतर ढंग से परखने निजी लैब में भी इसे जांच के लिए भेजा गया था। दोनों ही लैब की रिपोर्ट सही आई और चिक्की में किसी प्रकार की कोई खराबी नहीं पाई गई। वही बच्चों की तबियत बिगडऩे का कारण पहले ही चिक्की का ज्यादा खाना बताया गया था।
बची हुई चिकी हो सकती है खराब
शिक्षा विभाग ने कोलिहापुरी की घटना के बाद पूरे जिले में चिकी के बांटने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद सभी स्कूल प्रमुखों ने चिकी को सुरक्षित बॉक्स में पैक कर रख दिया था, लेकिन यह उस वक्त अक्टूबर 2021 में पैक होकर आई थी और इसे तीन महीने के अंदर ही इस्तेमाल करना था। अब स्कूल भी बंद होने के बाद बच्चों को चिकी बांटना बड़ा चैलेंज होगा। डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे, कलेक्टर, दुर्ग ने कहा कि चिकी खाकर बच्चे बीमार हो गए थे। जिसके बाद उसकी जांच दो अलग-अलग लैब में कराई गई थी, ताकि सही कारण पता चल सके। दोनों ही रिपोर्ट में चिकी सही पाई गई है। इसलिए शिक्षा विभाग को दोबारा स्कूलों में चिकी बांटने के निर्देश दिए हैं।
शिक्षा विभाग ने कोलिहापुरी की घटना के बाद पूरे जिले में चिकी के बांटने पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद सभी स्कूल प्रमुखों ने चिकी को सुरक्षित बॉक्स में पैक कर रख दिया था, लेकिन यह उस वक्त अक्टूबर 2021 में पैक होकर आई थी और इसे तीन महीने के अंदर ही इस्तेमाल करना था। अब स्कूल भी बंद होने के बाद बच्चों को चिकी बांटना बड़ा चैलेंज होगा। डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे, कलेक्टर, दुर्ग ने कहा कि चिकी खाकर बच्चे बीमार हो गए थे। जिसके बाद उसकी जांच दो अलग-अलग लैब में कराई गई थी, ताकि सही कारण पता चल सके। दोनों ही रिपोर्ट में चिकी सही पाई गई है। इसलिए शिक्षा विभाग को दोबारा स्कूलों में चिकी बांटने के निर्देश दिए हैं।