ट्रेन केवल एक ही जनरेटर कार के साथ दुर्ग तक पहुंची। प्रयोग के सफल होने से अधिकारी भी उत्साहित हुए। हेड ऑन जनरेशन टेक्नोलॉजी का उपयोग होने से यात्रियों को कंफर्म सीट की सुविधा मिलेगी वहीं रेलवे को भी ट्रेन में एक्सट्रा जनरेटर कार से छुटकारा मिल जाएगी। साथ ही डीजल की बचत भी होगी।
बिलासपुर से अब तक हेड ऑन जनरेशन की एक ही ट्रेन चेन्नई एक्सप्रेस चल रही है। अन्य ट्रेनों में इसका प्रयोग किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक जोन की सभी ट्रेनों को ईओजी टेक्नोलॉजी की जगह एचओजी टेक्नोलॉजीयुक्त करने की दिशा में काम कर चला है।
अभी तक ट्रेनों में इंडऑन जनरेशन पद्धति का इस्तेमाल हो रहा है। इसके तहत इंजन में बिजली की सप्लाई पेंटो के माध्यम से होती है। ट्रेन के बाकी डिब्बों में एसी, पंखा, लाइट आदि के लिए बिजली की सप्लाई जनरेटर कार से होती है। हर ट्रेन में दो जनरेटर कार होते हैं। एक इस्तेमाल होता है तो दूसरा बैकअप के लिए रहता है। अब हेड ऑन जनरेशन पद्धति में इंजन से ही ट्रेन के बाकी डिब्बों में बिजली की सप्लाई होगी। वहीं एक जनरेटर कार को बैकअप में रखा जाएगा। इस प्रकार दूसरे जनरेटर कार को हटा कर उसकी जगह पर यात्री बोगी जोड़ी जाएगी। इससे करीब 70 से 75 सीट का फायदा रेलवे को मिलेगा।